Culture

कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी: भारत में रीजनल पीआर के लिए सफलता के पिलर्स

आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, प्रभावी पब्लिक रिलेशन्स की महत्ता पहले से कहीं अधिक है, खासकर तब, जब बात भारत के विविध और जीवंत बाजार को नेविगेट करने की आती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत में किसी भी पीआर कैंपेन की सफलता कल्चर (संस्कृति), कनेक्शन (संपर्क) और क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) की तिकड़ी में महारत हासिल करने पर निर्भर करती...

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अच्छी परवरिश पर पैसा भारी

अपनी खुशियाँ न्यौंछावर करके एक पिता अपने बेटे को करोड़ों रुपए कमाने के लायक बनाता है, और इस काबिल होने के बाद वही बेटा उस पिता से कौड़ियों की भाँति व्यवहार करने लगता है।  यह एक ऐसा कटु सत्य है, जिससे कलयुग और विशेष रूप से इस मॉडर्न ज़माने का कोई भी व्यक्ति मुकर नहीं सकता। इससे पहले के दो...

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अच्छी लाइफ सेट करने में कौन-सा सिलेबस बड़ा: स्कूल का या फिर जिंदगी का?

आपको 3 इडियट्स का यह गाना तो याद ही होगा  “गिव मी सम सनशाइन गिव मी सम रेन गिव मी अनदर चांस आई वॉना ग्रो उप वन्स अगेन” “99 परसेंट मार्क्स लाओगे, तो घड़ी वरना छड़ी” अक्सर आपने यह भी सुना होगा कि 10वीं कक्षा अच्छे अंकों से पास कर लो, फिर लाइफ सेट हो जाएगी। या 12वीं कक्षा अच्छे...

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एम्प्लॉयीज़ से चलती है कंपनी

यह शत-प्रतिशत सत्य है। जब भी कोई कंपनी अपनी नींव रखने के बाद नए आयाम छूती है, तरक्की करती है, नई दिशाओं में आगे बढ़ती है और सफल होती है, तो बेशक उसमें बॉस का अहम् योगदान होता है। लेकिन सबसे बड़ा योगदान होता है, उसमें काम करने वाले एम्प्लॉयीज़ का, जो इसे अपनी कर्मस्थली मानते हैं। और सही मायने...

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कितना सच्चा? कितना झूठा?

Political Strategist in India

वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...

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क्या गरीब व्यक्ति शादियों में जाना ही छोड़ दे?

Political Strategist in India

हमारे रिश्तेदार क्या पहन रहे हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता, भाग-दौड़ भरे जीवन में वे हमारी खुशियों में शामिल हुए हैं, यह सबसे अधिक मायने रखता है सोने के आभूषण अमीर लोगों पर चमकते हैं साहब, गरीबों की कहाँ चका-चौंध! क्योंकि आलीशान शादी समारोह में शानदार रेड कार्पेट्स अमीरों का स्वागत करते हैं। दिखावे को होड़ जो लगी पड़ी है….....

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“परिवर्तन ही संसार का नियम है”, भूल चले हैं इस कहावत को हम..

Atul Malikram

हर दिन आगे बढ़ने के साथ-साथ पीछे छूट जाती हैं कई बातें, कई कहावतें, और महज़ कहानियाँ बनकर रह जाते हैं वो तमाम मुहावरें, जो हमारे बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं। “परिवर्तन ही संसार का नियम है….” कभी तो यह एक दिन में कई बार कही जाने वाली कहावत थी, और आज हम इसका अर्थ ही भूल चले हैं। अब तो...

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