सोने की चिड़िया में फिर बसने लगे प्राण

The golden bird started coming to life again

अपने पिंजरे की बेड़ियों को तोड़ते हुए अभूतपूर्व गति से उड़ने लगी सोने की चिड़िया 

भारत एक ऐसा नाम है, जो दुनिया के शक्तिशाली देशों के दायरे से अरसे से अछूता रहा है, यह बात और है कि किसी ज़माने में हमारे देश का दूसरा नाम ‘सोने की चिड़िया’ विश्व में शंखनाद करता था। जिस देश का कोहिनूर सदियों से रानी विक्टोरिया के ताज की शोभा बढ़ा रहा है, उस देश को सोने की चिड़िया कहा जाना कहाँ गलत है। अतुल्य विरासत को सजेहने, अपनी अद्भुत संस्कृति को साथ लेकर आगे बढ़ने, तमाम मसालों की उपज करने, शून्य की खोज करने, बिना किसी उपकरण के पृथ्वी से सूर्य की दूरी नाप लेने, सहस्त्र रहस्यों की गोद में फलीभूत मंदिरों आदि का निर्माण करने, तथा योग और शल्य चिकित्सा का वरदान देने वाले भारत के परचम पूरी दुनिया में लहराते थे। फिर एक हवा ऐसी चली कि धीरे-धीरे हमारी सोने की चिड़िया अपनी पहचान खोती चली गई। लेकिन समय के पहिए के आगे बढ़ने के साथ एक बार पुनः विजय घोष करते हुए भारत दुनिया का हृदय बन चुका है। 

यह एक ऐसा राष्ट्र है, जिसने विगत कुछ वर्षों में दृढ़ संकल्प के साथ चुनौतियों पर विजय प्राप्त करते हुए लगातार खुद को विकसित किया है। 1.42 अरब की आबादी के साथ, भारत की अद्भुत प्रगति की कहानी ने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है। चाहे बात इंफ्रास्ट्रक्चर की हो या अंतरिक्ष मिशन की, अर्थव्यवस्था की हो या खेल के क्षेत्र की, भारत ने इस सवाल का दृढ़ता से जवाब देते हुए हर कदम पर यह साबित किया है कि वह वैश्विक नेतृत्व के लिए एक योग्य दावेदार के रूप में क्यों खड़ा है।

हाल ही में आयोजित वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम ने खुद को एक ऐसे मंच के रूप में स्थापित किया, जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भारत को एक वैश्विक नेता की भूमिका में आगे बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। जबकि भारत के संभावित रूप से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की चर्चा अक्सर बनी रहती है, ऐसे में इस महत्वाकांक्षा का ठोस सबूत अब पूरी तरह स्पष्ट है। भारत के विकास का पथ वैश्विक मंच पर इसके उचित स्थान को दृढ़ता से उजागर करता है।

इसरो की कॉस्मिक ओडिसी: भारत की अंतरिक्ष गाथा जारी है

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा सन् 1962 में INCOSPAR के तहत शुरू हुई थी, जो वर्ष 2023 तक दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में विकसित हुई। आर्यभट्ट और चंद्रयान-1 से लेकर मंगलयान और आगामी चंद्रयान-3 तक, लागत प्रभावी नवाचार के प्रति इसरो की प्रतिबद्धता देश में क्राँति लाने के लिए महत्वपूर्ण स्त्रोत बन चुकी है।

23 अगस्त को देश के नसीब में एक ऐतिहासिक क्षण आया, जब भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में यान को सुरक्षित रूप से उतारने वाला पहला देश बनने की उपलब्धि हासिल की। यह मिशन, चंद्र अन्वेषण में एक अभूतपूर्व कदम का प्रतीक है, जो इसरो के रोवर द्वारा चंद्रमा की सतह पर सल्फर, लोहा, ऑक्सीजन और अन्य तत्वों की उपस्थिति की पुष्टि करने की राह पर है। इसके अतिरिक्त, इसरो द्वारा ₹400 करोड़ की लागत से निर्मित लगभग 1,500 किलोग्राम वजनी उपग्रह, आदित्य एल1 को तैयार करने का उद्देश्य उद्घाटन अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला के रूप में काम करना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर एक सुविधाजनक बिंदु से सूर्य का अध्ययन करने के लिए स्थित है।

रिकॉर्ड के मुताबिक, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष में उस स्थान पर पहुँच चुका है, जहाँ से वह लगातार सूर्य पर नजर रख सकेगा।

अयोध्या का आर्थिक पुनर्जागरण: राम मंदिर का वैश्विक प्रभाव

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन ने दुनिया भर के हिंदू भक्तों के बीच खासा उत्साह जगाया है। यह पूरे भारत के व्यवसायों और निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर सामने आया है। 85,000 करोड़ रुपए की प्रभावशाली लागत के साथ, यह अत्यंत प्राचीन और पवित्र शहर एक वैश्विक धार्मिक केंद्र में खुद को परिवर्तित करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो देश में अभूतपूर्व रूप से आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देगा।

श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने भविष्यवाणी की है कि मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या के आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में अविश्वसनीय वृद्धि देखने को मिलेगी, जो काफी हद तक सही साबित हो रही है। भक्तों ने नकद, ज्वेलरी और यहाँ तक कि अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ दान करके मंदिर परिसर के भंडारे भर दिए हैं, दान में सामग्री की मात्रा इतनी अधिक है कि उन्हें रखने का स्थान कम पड़ रहा है। वहीं, मंदिर के निर्माण के लिए इतनी दानराशि आई कि प्रथम तल का निर्माण उसी दानराशि से हो गया। देश के भिखारी वर्ग ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और थोड़े बहुत नहीं, बल्कि 4 लाख रुपए की राशि राम लाला के महल के लिए दान कर दी। इसमें कोई दो मत नहीं है कि शहर में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समान विस्तार हो सकता है, जिससे वृद्धि और विकास के नए रास्ते खुलेंगे।

माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सभा को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राम मंदिर भारत की प्रगति का एक प्रमाण है, जो एक भव्य और विकसित राष्ट्र के उद्भव का संकेत है। इस ऐतिहासिक स्थल की परिभाषा सिर्फ एक धार्मिक स्थल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समृद्धि और विकास की दिशा में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति के लिए भी जिम्मेदार है।

इंफ्रास्ट्रक्चर का विजय घोष: खत्म दूरियाँ और अन्य देशों से जुड़ाव 

नवी मुंबई में अटल सेतु के नाम से मशहूर अटल बिहारी वाजपेयी ट्रांस हार्बर लिंक का उद्घाटन एक अनूठी मिसाल है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत की तीव्र प्रगति की एक सम्मोहक कहानी बयाँ करती है। इसका वास्तुशिल्प प्रभावशाली छह लेन तक फैला हुआ है और 21.8 किलोमीटर की दूरी तय करता है, जिसकी निर्माण लागत ₹18,000 करोड़ से भी अधिक है।

मुंबई के सेवरी से शुरू होकर रायगढ़ जिले के उरण तालुका के न्हावा शेवा में समाप्त होने वाला अटल सेतु कनेक्टिविटी की परिभाषा में क्राँति लाने के लिए तैयार है। पुल की स्ट्रेटेजिक लोकेशन मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट दोनों तक तेजी से पहुँच बढ़ाने के साथ ही साथ मुंबई से पुणे, गोवा और दक्षिण भारत तक यात्रा के समय को कम करती है। इसके अलावा, यह मुंबई पोर्ट और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट के बीच कनेक्शन बढ़ाते हुए क्षेत्र में परिवहन गतिशीलता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर की यह असाधारण उपलब्धि सिर्फ प्रगति का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि भारत के आर्थिक परिदृश्य के कनेक्टिविटी फ्रेमवर्क को मजबूत करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

कूटनीतिक चमत्कार: G20 नेतृत्व और वैश्विक सहयोग

18वें G20 लीडर्स समिट का आयोजन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में किया गया था। इसमें जी20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा को सर्वसम्मति से अपनाया गया, जिसने वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के रूप में समावेशी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख तरीके से जी20 लीडर्स की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।

भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ द्वारा आर्थिक एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, मेगा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप शिपिंग और रेलवे कनेक्टिविटी कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईई ईसी) के नाम से प्रसिद्ध यह कॉरिडोर एशिया, पश्चिम एशिया / मध्य पूर्व और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और एकीकरण को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार है।

विशेष रूप से, जी20 समिट की भारत की अध्यक्षता ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जो वैश्विक समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अप्रत्याशित तनाव: लक्षद्वीप प्रकरण और वैश्विक गतिशीलता पर इसका प्रभाव

घटनाओं के एक अप्रत्याशित मोड़ में, लक्षद्वीप और राष्ट्र के बीच चल रहे शीत युद्ध के माध्यम से वैश्विक मंच पर भारत का महत्व तेजी से सामने आया। इस राजनयिक तनाव का उत्प्रेरक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा थी, जिससे मालदीव में बड़ा हँगामा कटा।

यह असहमति तब और बढ़ गई, जब मालदीव में तीन मंत्रियों ने हमारे प्रदान मंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ करना शुरू कर दीं। इसकी वजह से माहौल और भी अधिक गरमा गया। शुरुआत में जो सोशल मीडिया ट्रोल्स के बीच झड़प जैसा लग रहा था, देखते ही देखते वह अपनी आभासी सीमाओं को पार कर गया और एक पूर्ण राजनयिक स्थिति में तब्दील हो गया। संघर्ष की तीव्रता तब स्पष्ट हो गई जब मालदीव के तीन उपमंत्रियों और कुछ संसद सदस्यों ने प्रधान मंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। दरअसल, मालदीव की सूचना और कला उप मंत्री मरियम शिउना ने भारत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और भारत के लिए ‘विदूषक’ और ‘इजरायल की कठपुतली’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के सदस्य जाहिद रमीज ने भारत के लक्षद्वीप पर तंज कसते हुए यह कहा था कि भारत हमसे कॉम्पिटिशन करना चाहता है। भारत हमारी जितनी व्यवस्थाएँ कैसे दे पाएगा और इतनी साफ-सफाई कैसे रख पाएगा।

यह अप्रत्याशित कूटनीतिक दरार वैश्विक स्तर पर स्थानीय विवादों के साथ भारत के प्रभाव का एक और प्रमाण है। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की परस्पर जुड़ी प्रकृति और ऑनलाइन खिटपिट से वास्तविक दुनिया की राजनयिक चुनौतियों में तेजी से बदलाव को रेखांकित करती है।

आलम यह है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जिस स्थान पर जाकर खड़े हो जाते हैं, वहीं का टूरिज़्म नए आयाम छूने लगता है। प्रधान मंत्री का लक्षद्वीप दौरा इस बात का सबसे ताज़ा और जीता-जागता उदाहरण है। इजीमायट्रिप ने जहाँ एक तरफ मालदीव जाने वाले लोगों टिकट्स रद्द कर दिए, वहीं दूसरी तरफ लोग खुद भी मालदीव के बजाए लक्षद्वीप को बढ़ावा देने का मन बना चुके हैं। पीएम मोदी के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी के बाद मालदीव की राजनीतिक भूचाल आ चुका है। कुल मिलाकर भारतवासियों का एकजुट होना भारत के लिए एकता की सबसे बड़ी मिसाल बन खड़ा हुआ है।

खेल गौरव: क्रिकेट शतकों से ओलंपिक विजय तक

क्रिकेट के क्षेत्र में, विश्व कप के दौरान 50वें एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शतक के साथ विराट कोहली ने अपने कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया और खुद का नाम आधुनिक समय के श्रेष्ठतम खिलाड़ी के रूप में दर्ज कर लिया। हालाँकि, कहानी में ट्विस्ट लाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने अंततः टूर्नामेंट के अंतिम चरण में भारत की पकड़ से प्रतिष्ठित खिताब जीत लिया। हार और जीत बेशक बनी रहती है, लेकिन यह टूर्नामेंट भारत के इतिहास में सबसे उम्दा खेलों के रूप में जगह बनाने में कामियाब रहा।  

एशियाड और पैरा-एशियाई खेलों की बात करें, तो भारत ने विभिन्न खेलों में अपार संभावनाओं का प्रदर्शन करते हुए प्रगति का अपना पथ जारी रखा। जेवलिन थ्रोअर खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ओलंपियन चैंपियन बनकर और हांग्जो एशियाई खेलों में प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक हासिल करके राष्ट्रीय गौरव के रूप में उभर कर सामने आए।

एथलेटिक्स के क्षेत्र में, किशोर कुमार जेना ने एशियाई खेलों में रजत पदक हासिल किया और डब्ल्यूएसी में शीर्ष 10 में स्थान हासिल करके अपने कौशल का बखूबी प्रदर्शन किया, और भारत की वैश्विक खेल उपस्थिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इतना ही नहीं, वे पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने में भी सक्षम रहे।

अजरबैजान के बाकू में FIDE वर्ल्ड कप में युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंद की आशाजनक यात्रा दुनिया के नंबर 1 मैग्नस कार्लसन के खिलाफ करीबी मुकाबले के बाद रजत पदक के साथ समाप्त हुई। टाई-ब्रेक में पिछड़ने के बावजूद, एशियाई खेलों में पदक समेत प्रगनानंद की उपलब्धियाँ उन्हें शतरंज की दुनिया में एक उभरते सितारे के रूप में चिह्नित करती हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय खेल क्षेत्र में भारत का कद कई स्तर बढ़ गया है।

असंभावित क्षेत्रों से आभार: भारत के उत्थान के लिए चीन की प्रशंसा

चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत की आर्थिक वृद्धि और विदेश नीति की जमकर तारीफ की है। अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत इंडिया नैरेटिव बनाने और उसे विकसित करने में रणनीतिक रूप से अधिक क्षमतावान हो गया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में भारत की तारीफ वाला लेख आना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा। इस लेख को शंघाई के फुडन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के डायरेक्टर झांग जियाडोंग ने लिखा है, जिसमें पिछले चार वर्षों में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है।

ग्लोबल टाइम्स के इस लेख को भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, शहरी शासन में सुधार और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, विशेष रूप से चीन के साथ दृष्टिकोण में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। अपने लेख में झांग ने कहा, “उदाहरण के लिए, चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलन पर चर्चा करते समय, भारतीय प्रतिनिधि पहले मुख्य रूप से व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए चीन के उपायों पर ध्यान केंद्रित करते थे। लेकिन, अब वे भारत की निर्यात क्षमता पर अधिक जोर दे रहे हैं।” लेख में यह भी कहा गया है कि अपने तीव्र आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ, भारत रणनीतिक रूप से अधिक आश्वस्त हो गया है और ‘इंडिया नैरेटिव’ बनाने और विकसित करने में अधिक सक्रिय हो गया है। पश्चिम के साथ भारत की बराबरी की सराहना करते हुए इस लेख में कहा गया, “वर्तमान में, लोकतांत्रिक राजनीति के भारतीय मूल पर और भी अधिक जोर दिया जा रहा है। यह बदलाव भारत की ऐतिहासिक औपनिवेशिक छाया से बचने और राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से ‘विश्व गुरु’ के रूप में कार्य करने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। विदेश नीति में भी भारत की रणनीतिक सोच में बदलाव आया है और वह स्पष्ट रूप से एक महान शक्ति रणनीति की ओर बढ़ रहा है।”

चुनौतियों के बीच आर्थिक सुदृढ़ता: भारत की जीडीपी वृद्धि की कहानी

भारत की अर्थव्यवस्था ने कोविड-19 महामारी की वजह से वित्त वर्ष 20/21 में भारी दबाव के बाद वित्त वर्ष 21/22 में जोरदार वापसी करके सुदृढ़ता का प्रदर्शन किया। व्यापक वैक्सीन कवरेज के साथ-साथ उदार मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों ने 2022 में भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरने में मदद की। वित्त वर्ष 22/23 में, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में अनुमानित 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो मजबूत घरेलू माँग, सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर के निवेश और उच्च आय वाले लोगों के बीच मजबूत निजी खपत से प्रेरित है। हालाँकि, बढ़ती उधार लागत और मुद्रास्फीति के दबाव के कारण वित्त वर्ष 22/23 की तीसरी तिमाही में नरमी के संकेत सामने आए। अनुमान वित्त वर्ष 23/24 में विकास दर में 6.3 प्रतिशत की कमी का संकेत देते हैं। राजकोषीय समेकन प्रयासों से राजस्व में वृद्धि और महामारी से संबंधित प्रोत्साहन उपायों की चरणबद्ध वापसी के कारण सामान्य सरकारी राजकोषीय घाटे और जीडीपी अनुपात में सार्वजनिक ऋण में गिरावट देखी गई। चुनौतियों के बावजूद, सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूँजीगत व्यय बढ़ाकर विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत की भव्य यात्रा में ‘विश्व गुरु’ की ख्याति, हर कदम पर विजय, चुनौतियों को चीरते हुए आगे बढ़ने और महानता के लिए नियत राष्ट्र की अटूट भावना के मिश्रण के साथ पूरी दुनिया में भारत का शंखनाद करती है।

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