वेद, उपनिषद, पुराण और स्मृति, दान के महत्व पर विशेष तौर पर ज़ोर देते हैं। अथर्ववेद सौ हाथों से बटोरने और हजार हाथों से देने का आह्वान करता है। पहले के समय में, दान की अवधारणा को जीवन पर्यन्त ज़रूरतमंदों के काम आने के रूप में देखा जाता था। हालाँकि, दान की वास्तविक परिभाषा और महत्व को लेकर लोगों में...
Continue reading...Atul Malikram Samajsevi
काला अक्षर इंसान बराबर…..
कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे...
Continue reading...कितना सच्चा? कितना झूठा?
वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...
Continue reading...कैसा हो? यदि आपको दो वक्त की रोटी न मिले…..
“बेज़ुबान हैं, तो क्या हुआ, प्यास तो उन्हें भी लगती है” ज़रा सोचिए, आपको बहुत तेज़ भूख लगी हो, और आपको खाने के लिए दिन भर कुछ भी न मिले। गर्मी के मौसम में तपती धूप में बैठा दिया जाए, और प्यास से तड़पने के बावजूद कई दिनों तक पीने के लिए पानी न दिया जाए। क्या हुआ? किस सोच...
Continue reading...जरुरी नहीं है कि आपकी प्रबलता हर जगह काम आए
इंसान को कई बार घमंड हो चलता है, कभी अपने रुतबे का, तो कभी अपने इंसान ही होने का। वह अक्सर दुनिया में रहने वाले सभी प्राणियों को खुद से कम ही आँकता है। मैं आज तक नहीं जान पाया कि भला इसके पीछे वास्तव में कारण क्या है? क्या यह इंसान को मिली बोली है, जो उसके घमंड का...
Continue reading...क्या ऑनलाइन शिक्षा, स्कूल की कक्षा से बेहतर विकल्प हो सकता है?
स्कूल की कक्षा यानि विद्यालयीन शिक्षा सर्वश्रेष्ठ है, जो अब लुप्त होने के कगार पर दिखाई दे रही है। कहीं यह हमारे समाज की सबसे बड़ी भूलों में से एक न बन जाए। पारंपरिक शिक्षा में एक निश्चित कार्यक्रम, परस्पर संचार और सख्त अनुशासन छात्रों का सटीक मार्गदर्शन करते हैं। पूरी तरह से शिक्षा ग्रहण एवं उसे कैसे आचार-विचार में...
Continue reading...यदि अब भी नहीं, तो आखिर कब?
रतन टाटा को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करना, क्या भूल चुका है देश? 85 वर्षीय बिज़नेस टाइकून- रतन टाटा, जिन्होंने बार-बार स्वयं को महज़ एक उद्योगपति से कहीं अधिक साबित किया है, उन्हें कभी वह तवज्जो नहीं दी गई, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। रतन टाटा उस हर एक भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो अपने जीवन...
Continue reading...लॉ ऑफ पब्लिसिटी (प्रचार के कानून) \के मायने, ब्रांड स्थापित करने के लिए काफी
पब्लिसिटी से जुड़े कानूनों को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन मैं इसे आपके लिए बेहद आसान बनाने की पूरी कोशिश करूँगा। बहुत से लोग एडवर्टाइज़िंग और पब्लिसिटी के बीच कंफ्यूज़ होते हैं। लेकिन जब आप मैदान में उतरते हैं, और अपने ब्रांड का विस्तार करने के लिए काम करना शुरू करते हैं, तब यह जान पाते हैं कि...
Continue reading...नफा-नुकसान के हिंडोलों पर एलन के ऐलान..
जब से एलन मस्क के हाथों में ट्विटर की कमान आई है, पूरी दुनिया में एक ही चर्चा चरम पर है, वह है प्लेटफॉर्म से एम्प्लॉयीज़ की छँटनी। हर दिन अखबारों के पन्नों में जैसे यह खबर बेहद आम हो गई है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क द्वारा दुनिया भर में एम्प्लॉयीज़ की छँटनी के काम को...
Continue reading...एक अच्छे लीडर की निशानी- सामने से नेतृत्व
“आप लोगों को नहीं बदल सकते। इसलिए खुद के भीतर वह बदलाव लाएँ, जो आप लोगों में देखना चाहते हैं।” -महात्मा गांधी सबसे अच्छा लीडर वह है, जो सामने से नेतृत्व करता है और निर्णय लेता है कि उसकी टीम किस प्रकार सहयोगी है। इसलिए अपनी टीम को प्रोत्साहित करना और बेहतर संभावनाओं के लिए उस पर विश्वास करना, हमेशा...
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