यदि अब भी नहीं, तो आखिर कब?

If not now, then when?

रतन टाटा को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करना, क्या भूल चुका है देश?

85 वर्षीय बिज़नेस टाइकून- रतन टाटा, जिन्होंने बार-बार स्वयं को महज़ एक उद्योगपति से कहीं अधिक साबित किया है, उन्हें कभी वह तवज्जो नहीं दी गई, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। रतन टाटा उस हर एक भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो अपने जीवन में कुछ अच्छा करना चाहते हैं। सर रतन टाटा ट्रस्ट द्वारा किया जाने वाला कार्य वंचितों और शोषितों की मदद करने की उनकी अनमोल विरासत को आगे बढ़ा रहा है।

बीच-बीच में सुनने में आता है कि जनता उन्हें भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने की माँग कर रही है। सोशल मीडिया पर भी रतन टाटा के परोपकार की कई मिसालें पेश की जाती रही हैं, जो बार-बार यही कहती हैं कि भारत के सच्चे रत्न को दशकों से भारत रत्न की उपाधि से कोसों दूर रखा जा रहा है। फिर इस रत्न के भी क्या कहने? भारत की सबसे अहम् पदवी से वंचित होने के बाद भी निःस्वार्थ भाव से देश के लिए जिए जा रहा है, समर्पण भाव से देश को आगे बढ़ाने में योगदान दिए जा रहा है। लेकिन अब तक इस अनसुनी पुकार की सुनवाई नहीं हुई है। भला आज तक यह बात समझ नहीं आई कि देश के लिए इतना कुछ करने वाले व्यक्ति को यह महान सम्मान देने में सरकार देरी क्यों कर रही है?

इस वाक्य को कहने के लिए शब्द कम ही पड़ेंगे कि रतन टाटा ने देश के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उनकी पहचान उन परोपकारी कार्यों से है, जो वे विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में करते हैं। उन्होंने भारत में सबसे बड़े धर्मार्थ संगठनों में से एक, टाटा ट्रस्ट की स्थापना सहित विभिन्न धर्मार्थ कार्यों के लिए उदारतापूर्वक दान दिया है। रतन टाटा को अपनी नवीन सोच और जोखिम लेने की अद्भुत क्षमता के लिए जाना जाता है। नैनो कार सहित कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसका सीधा उद्देश्य लाखों लोगों के लिए किफायती परिवहन को सुलभ बनाना था।

रतन टाटा का योगदान भारत की अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा देने तक ही सीमित नहीं है।

वे आर्थिक सुधारों के समर्थक रहे हैं और उन्होंने भारत को वैश्विक कंपनियों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रतन टाटा की सरल विनम्रता और उनके प्रेरक भाषण लम्बे समय से अनगिनत लोगों का दिल जीतते आ रहे हैं।

2000 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से और वर्ष 2008 में, पद्मविभूषण से सम्मानित किया, लेकिन एक मानद पुरस्कार है, जो लंबे समय से उनके नाम के आगे लगकर स्वयं की शोभा बढ़ाने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि रतन टाटा भारत रत्न के असली हकदार हैं। वे भारत के सच्चे रत्न हैं, लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं और एक भारतीय के रूप में, हम सभी इस मातृभूमि और समाज के लिए उनकी अटूट सेवा के फल के रूप में यह पुरस्कार प्राप्त करते हुए देखना चाहते हैं।

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