New Age Media

शादी-ब्याह को चंगुल मानने लगी युवा पीढ़ी की बड़ी आबादी

A large population of the young generation has started considering marriage as a bondage.

विवाह एक खूबसूरत बंधन है, जहाँ सिर्फ दो व्यक्ति ही नहीं, बल्कि दो परिवार भी मिलते हैं। बेशक, यह एक नैतिक परंपरा रही है, लेकिन धीरे-धीरे नए दौर के बोझ तले दबती जा रही है। एक ऐसा नया दौर, जिसमें शादी का बंधन किसी कैद जैसा जान पड़ने लगा है। एक ऐसा नया दौर, जहाँ अपने ही हमसफर का कुछ...

Continue reading...

कलम की टीस..

The pain of the pen..

मैं कलम हूँ। मैं क्या कर सकती हूँ, कोई आसानी से नहीं समझ सकता। वो सब, जो नहीं समझते उनके लिए मैं एक निर्जीव वस्तु हूँ, न हिल सकती हूँ, न साँस ले सकती हूँ, केवल एक प्लास्टिक से बनी हुई वस्तु हूँ.. लेकिन हकीकत उनकी सोच से कोसों परे है। मैं क्या कर सकती हूँ, यह तो वही व्यक्ति...

Continue reading...

अच्छी परवरिश पर पैसा भारी

money is more important than good upbringing

अपनी खुशियाँ न्यौंछावर करके एक पिता अपने बेटे को करोड़ों रुपए कमाने के लायक बनाता है, और इस काबिल होने के बाद वही बेटा उस पिता से कौड़ियों की भाँति व्यवहार करने लगता है।  यह एक ऐसा कटु सत्य है, जिससे कलयुग और विशेष रूप से इस मॉडर्न ज़माने का कोई भी व्यक्ति मुकर नहीं सकता। इससे पहले के दो...

Continue reading...

लोकतंत्र को आकार देने में युवा मतदाताओं की भूमिका अहम्

Role of young voters is important in shaping democracy

भारत में युवा मतदाताओं की भूमिका का बहुत अधिक महत्व है, जो देश में उनकी व्यापक संख्या और लोकतंत्र को गहन रूप से प्रभावित करने की क्षमता से प्रेरित है। एक प्रमुख जनसांख्यिकीय के रूप में, युवा देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही, चुनावी परिणामों, नीतियों और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।...

Continue reading...

न्यू ऐज मीडिया, पब्लिक रिलेशन्स इंडस्ट्री के लिए चल रहा नई राह पर

New age media is moving on a new path for public relations industry.

विगत कुछ वर्षों में पीआर परिदृश्य में काफी हद तक विकास देखने में आया है और साथ ही न्यू ऐज मीडिया का आगमन, ब्रांडिंग इंडस्ट्री में बड़े स्तर के बदलाव लेकर आया है। पब्लिक रिलेशन्स दशकों से ब्रांड कम्युनिकेशन्स को बेहतर आकार और नए आयाम देता आ रहा है। न्यूज़पेपर्स, टेलीविजन और रेडियो जैसे पारंपरिक माध्यमों के साथ ही, इंटरनेट...

Continue reading...