एक बच्चे के रूप में मेरा स्कूल बहुत अलग था। आज के बच्चे ऐसी शिक्षा और ऐसे बचपन से कोसों दूर हैं। चीज़ें पहचान से परे हो गई हैं। बूढ़े लोग अक्सर अतीत के बारे में बातें करते हैं। हमारे समय में ऐसा था वैसा था और न जाने क्या-क्या? लेकिन वे सही कहते हैं। आप पूछ सकते हैं कि...
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सोने की चिड़िया में फिर बसने लगे प्राण
अपने पिंजरे की बेड़ियों को तोड़ते हुए अभूतपूर्व गति से उड़ने लगी सोने की चिड़िया भारत एक ऐसा नाम है, जो दुनिया के शक्तिशाली देशों के दायरे से अरसे से अछूता रहा है, यह बात और है कि किसी ज़माने में हमारे देश का दूसरा नाम ‘सोने की चिड़िया’ विश्व में शंखनाद करता था। जिस देश का कोहिनूर सदियों से...
Continue reading...अब कम उम्र के लोगों को कैंसर की चपत
कम उम्र के लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रहा कैंसर युवाओं को अपनी चपेट में लेने को उतारू- कैंसर मेरे एक परिचित हैं रोहन, पिछले साल उनमें अचानक तेज पेट दर्द की समस्या पनपने लगी। इसे सामान्य समस्या समझकर उन्होंने प्रारंभिक उपचार के लिए डॉक्टर से सलाह ली। डॉक्टर ने संबंधित जाँचें लिख दी यह पता लगाने के...
Continue reading...कलम की टीस..
मैं कलम हूँ। मैं क्या कर सकती हूँ, कोई आसानी से नहीं समझ सकता। वो सब, जो नहीं समझते उनके लिए मैं एक निर्जीव वस्तु हूँ, न हिल सकती हूँ, न साँस ले सकती हूँ, केवल एक प्लास्टिक से बनी हुई वस्तु हूँ.. लेकिन हकीकत उनकी सोच से कोसों परे है। मैं क्या कर सकती हूँ, यह तो वही व्यक्ति...
Continue reading...अंग्रेजी का बढ़ता प्रचलन, दूर कर रहा हमें मातृभाषा से
क्या मातृभाषा को अनदेखा करना सही है? बात शुरू करता हूँ अंग्रेजी के बढ़ते प्रचलन से। आज सभी अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं। हमारे देश में अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। आजकल शिक्षा व्यवस्था खासतौर पर अंग्रेजी विद्यालयों में हिंदी का कोई विशेष महत्व नहीं है। तो क्षेत्रीय भाषा की बात ही कौन करे? इसकी वजह...
Continue reading...2030 के भारत को केंद्र में रखकर चुने गए 3 राज्यों के मुख्यमंत्री
2030 के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर हुआ एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का चुनाव तीन राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने आम जनमानस के साथ दोनों प्रमुख दलों को भी चौंकाने का काम किया, लेकिन इससे भी कहीं अधिक इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चुनाव ने सत्ता दल के दिग्गज नेताओं...
Continue reading...डिजिटल युवा: समाज में बदलाव लाने और भारत की सफलता के उत्प्रेरक
इस डिजिटल युग में, देश के युवा इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी तक अभूतपूर्व पहुँच स्थापित कर चुके हैं, जो देश की प्रगति के लिए सबसे मजबूत घटकों में से एक है। डिजिटल परिदृश्य को नेविगेट करने में उनकी कुशलता समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती है। सोशल मीडिया के प्रभाव के...
Continue reading...किताबी ज्ञान तक ही सीमित न हों शिक्षा के मायने
क्या असल जिंदगी के दोहे सिखा सकेगा किताबी ज्ञान? शिक्षा कैसी होना चाहिए? आखिर शिक्षा के मायने क्या होने चाहिए? क्या रट-रट कर हासिल किए गए श्रेष्ठ अंक ले आना बेहतर शिक्षा कहला सकती है? किताबी कीड़ा बनकर एक बेहतर शिक्षार्थी बना जा सकता है? क्या आप भी यही सोचते हैं कि शिक्षा महज़ किताबी ज्ञान हो? सिर्फ चंद किताबें...
Continue reading...अच्छी परवरिश पर पैसा भारी
अपनी खुशियाँ न्यौंछावर करके एक पिता अपने बेटे को करोड़ों रुपए कमाने के लायक बनाता है, और इस काबिल होने के बाद वही बेटा उस पिता से कौड़ियों की भाँति व्यवहार करने लगता है। यह एक ऐसा कटु सत्य है, जिससे कलयुग और विशेष रूप से इस मॉडर्न ज़माने का कोई भी व्यक्ति मुकर नहीं सकता। इससे पहले के दो...
Continue reading...अच्छी लाइफ सेट करने में कौन-सा सिलेबस बड़ा: स्कूल का या फिर जिंदगी का?
आपको 3 इडियट्स का यह गाना तो याद ही होगा “गिव मी सम सनशाइन गिव मी सम रेन गिव मी अनदर चांस आई वॉना ग्रो उप वन्स अगेन” “99 परसेंट मार्क्स लाओगे, तो घड़ी वरना छड़ी” अक्सर आपने यह भी सुना होगा कि 10वीं कक्षा अच्छे अंकों से पास कर लो, फिर लाइफ सेट हो जाएगी। या 12वीं कक्षा अच्छे...
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