बॉस या……..

Political Strategist in India

खड़ूस.. अकड़ू.. ये ऐसे अनकहे शब्द हैं, जो हमेशा ही मेरे कानों में गूँजते हैं, जब भी स्टाफ का कोई मेंबर तनी हुई भौहें लेकर गुस्से से आसपास से गुजर रहा होता है। मुँह पर कोई नहीं कह पाता, लेकिन मेरा मानना है कि बेशक स्टाफ के चुनिंदा लोगों के मन में यह नाम आ ही जाता होगा। यह तो...

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लीडरशिप टैक्टिक्स: अच्छे-बुरे, दोनों कॉप की भूमिका निभाएँ

Leadership by Atul Malikram

यदि आपका काम दूसरों को बेहतर बनने, अधिक सपने देखने, अधिक सीखने, अधिक कार्य करने या बड़ा बनने के लिए प्रेरित करता है, तो आप एक लीडर हैं। यदि आप दूसरों के लिए एक प्रभावशाली मोटिवेटर हैं, तो आप एक गुड कॉप और एक बैड कॉप, दोनों की भूमिका निभाना अच्छे से जानते हैं, और साथ ही आप जानते हैं...

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एक अच्छे लीडर की निशानी- सामने से नेतृत्व

Indian Political Strategist

“आप लोगों को नहीं बदल सकते। इसलिए खुद के भीतर वह बदलाव लाएँ, जो आप लोगों में देखना चाहते हैं।” -महात्मा गांधी सबसे अच्छा लीडर वह है, जो सामने से नेतृत्व करता है और निर्णय लेता है कि उसकी टीम किस प्रकार सहयोगी है। इसलिए अपनी टीम को प्रोत्साहित करना और बेहतर संभावनाओं के लिए उस पर विश्वास करना, हमेशा...

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मैं सफल न हो सका, क्योंकि मैं गरीब पैदा हुआ..

Indian Political Strategist

जीवन की दौड़ में जीत हासिल करने की चाह है, तो तेज रफ्तार से भागना ही पड़ेगा। किसी को दोष देकर बच निकलना, मैं मानता हूँ कि खुद से भागना है। जीवन में आखिर कब तक आप खुद से भागेंगे? कई मोड़ ऐसे आएँगे, जहाँ आपको खुद को साबित करने की जरुरत पड़ेगी। यहाँ जो सफल हुए, तो दुनिया आपकी...

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खाली जेब के बावजूद, पिता दुनिया के सबसे अमीर इंसान..

राजनीतिक रणनीतिकार

खुशियाँ बिखेरने के लिए अपनी खुशियाँ कैसे खुशी-खुशी कुर्बान कर देते हैं पापा “प्रकृति की उत्कृष्ट कृति पिता का दिल है” ‘पिता’ एक ऐसा शब्द है, जो हमेशा ईश्वर के साथ गूँजता है। दो अक्षर का यह खूबसूरत शब्द भावनाओं का सैलाब लाने और उसमें साथ बहा ले जाने के लिए काफी है। पिता शब्द से सुरक्षित इस जहान में...

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युवाओं का जिम्मेदारी और दवाब से भागना, भारत में ‘द ग्रेट रेजिग्नेशन’ का सबसे बड़ा कारण

atul malikram

जिस देश में 5 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हों, वहां ‘द ग्रेट रेजिग्नेशन’ जैसी प्रवृत्ति का तेजी से बढ़ना, काम पर आराम हावी होने का संकेत समझा जा सकता है। वक्त आराम का नहीं मिलता, काम भी काम का नहीं मिलता.. इन दिनों ज्यादातर वर्किंग क्लासेस युवाओं की सोच मुज़्तर ख़ैराबादी के इस शेर से वाबस्ता रखती हैं। भारत...

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भारत के एजुकेशन सिस्टम को बदलते समय के अनुकूल होने की खास जरूरत

education system

प्रगतिशील देशों को एक साथ काम करने के लिए प्रगतिशील दिमाग की जरूरत है। इसके लिए देशों को मानव-मन की क्षमताओं को उजागर करने की आवश्यकता है, और इन्हें उजागर करने का शिक्षा या एजुकेशन से बेहतर माध्यम मेरे ज़हन में नहीं आता। भारत में एजुकेशन सिस्टम वैदिक काल से चला आ रहा है, जब गुरुकुल या पाठशालाएँ, गुरुजनों की...

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सिर्फ मान्यताएँ ही नहीं, विज्ञान भी कहता है गाय को पवित्र

अतुल मलिकराम

भारत अपनी युगों पुरानी मान्यताओं और अद्भुत परंपराओं की गोद में फला-फूला देश है। प्राचीन काल से ही पशु जीवन के प्रति हिंदू धर्म में गहन आस्था रही है। और विशेष तौर पर जब गाय की बात आती है, तो यह विश्वास कई गुना बढ़ जाता है। गायों को दैवीय स्वरुप और प्रकृति का उपकार माना जाता है। लेकिन बतौर...

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हैं तैयार हम…

अतुल मलिकराम राजनीतिक रणनीतिकार

जीवन में हमें अपने आसपास दो तरह के लोग देखने को मिलते हैं, एक वो जो छोटी-मोटी मुश्किल को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, और सिर्फ यह कहते हुए दिख पड़ते हैं, कि यह फलाना काम कैसे होगा, यह तो बेहद मुश्किल है आदि। दूसरे वो जो बड़ी से बड़ी मुश्किल को यह कहकर छोटा कर देते हैं कि यह तो...

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फिर हुईं अनसुनी, कैदियों की खामोश चीखें….

Atul Malikram Political Strategist

गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में हिरासत में 1,845 कैदी मौत के घाट उतर गए, जो पिछले 20 वर्षों में भारतीय जेलों में हुई सबसे अधिक मौतें हैं, जबकि जेलों की औसत ऑक्यूपेंसी 117.6% थी। निस्संदेह, भारत में जेलों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में भीड़भाड़, कर्मचारियों की अनुपलब्धता और धन के...

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