कभी-कभी चुप रहना, जवाब देने से ज्यादा प्रभावी हो सकता है

Sometimes remaining silent can be more effective than responding.

बेशक क्राइसिस मैनेजमेंट कठिन हो सकता है, लेकिन कुछ समय के लिए रुकने और शांत रहने से आपको अपनी ब्रांड प्रतिष्ठा की रक्षा करने में मदद मिल सकती है। कुछ स्थितियों में, एक टूल के रूप में मौन का उपयोग करना आवेगपूर्ण प्रतिक्रिया देने से अधिक प्रभावी हो सकता है। जानना चाहेंगे, कैसे? पीआर में दो दशकों से अधिक के...

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पीआर परिदृश्य में किस तरह क्राँति ला रही है क्रिएटर इकॉनमी?

How is the creator economy revolutionizing the PR landscape?

कहानी कहने की कला और आकर्षक कॉन्टेंट हमेशा ही दर्शकों के मन-मस्तिष्क में विशेष स्थान रखते हैं। सोशल मीडिया के आगमन ने इस विशेष कला को ऊँचा उड़ने के लिए नए पंख दिए हैं, जिसके माध्यम से स्टोरीटेलिंग आर्टिस्ट्स को बतौर ऑनलाइन खुद को अभिव्यक्त करने के असीमित अवसरों की सौगात मिली है। पहले के समय में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स सिर्फ...

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पीआर में क्रॉस-कंसल्टेंसी कोलेबरेशन की बढ़ती प्रवृत्ति

Growing trend of cross-consultancy collaboration in PR

विगत कुछ वर्षों में पीआर परिदृश्य में बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिले हैं। कोविड के बाद से तमाम इंडस्ट्रीज़ के ब्रांड मैनेजर्स की व्यस्तता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, जैसे- सोशल मीडिया, वेब व कॉन्टेंट मार्केटिंग, एसईओ आदि के उपयोग में बढ़ोतरी को भी उनकी व्यस्तता का प्रमुख कारण माना जा सकता है। जाहिर-सी...

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पब्लिक रिलेशन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें, जो आपको पता होना चाहिए

Some important things about public relations that you should know

विज्ञापन किसी प्रोडक्ट या सर्विस की सेल बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है, बल्कि पब्लिक रिलेशन इमेज बिल्डिंग यानी लम्बे समय तक टारगेट ऑडियंस पर छाप छोड़ने का काम करता है। पब्लिक रिलेशन इंडस्ट्री का काम बड़ा ही चुनौतीपूर्ण लेकिन रोमांचक होता है। हालांकि कुछ चुनिंदा लोग ही होंगे, जो बता सकते हैं कि पब्लिक रिलेशन इंडस्ट्री के लोग...

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एक कप गरमा-गरम चाय की चुस्की और मजबूत संबंध

Sip a cup of hot tea and have a strong relationship

4,750 वर्ष पहले सम्राट शेन नोंग ने जब चाय की आकस्मिक खोज की, तब उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनकी यह खोज एक दिन न सिर्फ दो लोगों के संबंधों के सृजन, बल्कि उन्हें मजबूत करने का एक प्रतिभाशाली सूत्र बन जाएगी। आज के डिजिटल युग में, जहाँ लोग अक्सर अपने फोन और ई-मेल के माध्यम से अपनी व्यस्तता...

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मैं हूँ ना !!

I am here!!

आप सिर्फ काम पर फोकस करें, बाकी टेंशन कंपनी पर छोड़ दीजिए एक कामकाजी आम नागरिक सबसे ज्यादा वक्त कहाँ बिताता है? घर, मार्केट या रिश्तेदारों में? शायद इनमें से कहीं नहीं… क्योंकि दिन में उसका सबसे अधिक समय उसके ऑफिस या काम की जगह पर ही जाता है। अब एक सामान्य कामकाजी इंसान के पास कितनी तरह की दिक्कतें...

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सिर्फ पैसे वाले लोग ही दान कर सकते हैं, यह जरुरी तो नहीं..

Only people with money can donate, it is not necessary..

वेद, उपनिषद, पुराण और स्मृति, दान के महत्व पर विशेष तौर पर ज़ोर देते हैं। अथर्ववेद सौ हाथों से बटोरने और हजार हाथों से देने का आह्वान करता है। पहले के समय में, दान की अवधारणा को जीवन पर्यन्त ज़रूरतमंदों के काम आने के रूप में देखा जाता था। हालाँकि, दान की वास्तविक परिभाषा और महत्व को लेकर लोगों में...

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काला अक्षर इंसान बराबर…..

Black letter equals human...

कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे...

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दोषी कौन????????

Who is guilty????????

बीती सुबह, मैं घर के पास ही बने गार्डन में टहल रहा था। रेसीडेंसी के ब्लॉक बी और सी में रहने वाले मेरे कुछ मित्र रनिंग और एक्सर्साइज़ छोड़कर बड़ी ही गहरी चर्चा में लगे हुए थे। चर्चा इतनी विशेष थी, मानों वे सभी सुबह होने का ही इंतज़ार कर रहे थे कि कब हम सभी मिलें और इस बारे...

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कितना सच्चा? कितना झूठा?

How true? such a liar?

वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...

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