कैदियों की भावनाओं को हर दिन ठेस; आखिर कब तक?

अतुल मलिकराम राजनीतिक रणनीतिकार

भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है। सिर्फ नाम के लिए ही नहीं, बल्कि भारत का संविधान अपने नागरिकों को स्वतंत्र चुनाव, कई पार्टियों वाला पार्लियामेंट सिस्टम, स्वतंत्र प्रेस और एक स्वतंत्र न्यायपालिका प्रदान करता है, जो समाज को एक जीवंत समाज बनाने में मदद करता है। मानवाधिकारों की गाथा गाते इस देश में एक नागरिक को...

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देखो, मैंने एक सपना देखा..

Atul Malikram

आज सुबह जब नींद खुली, तो कुछ मिनटों तक दहशत में रहा, पसीने से तर-बतर हो चुका था। आतंकवाद की दहशत मानो सपने से हकीकत का रूप ले चुकी हो। एक देश के आतंकी हमले ने दूसरे को तहस-नहस कर दिया। हर तरफ लाशों के ढेर बिछाने और खून के कतरे से देश की धरती को रंगने में आतंकियों को...

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विश्वास, खुद पर…..

Atul Malikram

सियासी गद्दी का बोलबाला कुछ ऐसा है कि किसी के लिए तो यह मखमल की सी पेश होती है, वहीं किसी के लिए काँटों की सेज बनकर बिछ जाया करती है। भारत देश पर तकरीबन 70 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपनी सत्ता के दौरान देश के लिए कई कार्य किए। लेकिन राहुल गाँधी कहीं न कहीं पूर्वजों...

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एलन मस्क का एम्प्लॉयीज़ की छँटनी करना कितना सही और कितना गलत?

एलन मस्क का एम्प्लॉयीज़ की छँटनी करना कितना सही और कितना गलत?

जब से एलन मस्क के हाथों में ट्विटर की कमान आई है, पूरी दुनिया में एक ही चर्चा चरम पर है, वह है प्लेटफॉर्म से एम्प्लॉयीज़ की छँटनी। हर दिन अखबारों के पन्नों में जैसे यह खबर बेहद आम हो गई है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क द्वारा दुनिया भर में एम्प्लॉयीज़ की छँटनी के काम को...

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सरकारों की चाटुकारिता में तब्दील होता जा रहा महामहीम का सर्वोच्च पद – अतुल मलिकराम, राजनीतिक विश्लेषक

संवैधानिक दृष्टि और मूल सिद्धांतों को छोड़ दें तो आपको भारत में राष्ट्रपति पद की कितनी जरुरत महसूस होती है? बहुत से लोगों को तो प्रधानमंत्री के होने न होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता होगा, लेकिन पीएम और उनकी सरकार के पास इतनी पॉवर जरूर होती है कि व जब चाहे तब, भारत के प्रथम नागरिक को अपने...

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