एक दौर वह था, जब हमारी सबसे अच्छी मित्र हुआ करती थीं किताबें, जब किताबों से नाता हमारे दिलों में बसता था, जिनसे अब नाता पुराना हो गया है, या यूँ कहें कि नाता ही नहीं रहा। एक समय था जब लोग किताबों की खोज में पुस्तकालयों और बाजारों का सफर किया करते थे। नई पुस्तकों की खुशबू, उनकी परतों...
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कलम की टीस..
मैं कलम हूँ। मैं क्या कर सकती हूँ, कोई आसानी से नहीं समझ सकता। वो सब, जो नहीं समझते उनके लिए मैं एक निर्जीव वस्तु हूँ, न हिल सकती हूँ, न साँस ले सकती हूँ, केवल एक प्लास्टिक से बनी हुई वस्तु हूँ.. लेकिन हकीकत उनकी सोच से कोसों परे है। मैं क्या कर सकती हूँ, यह तो वही व्यक्ति...
Continue reading...अंग्रेजी का बढ़ता प्रचलन, दूर कर रहा हमें मातृभाषा से
क्या मातृभाषा को अनदेखा करना सही है? बात शुरू करता हूँ अंग्रेजी के बढ़ते प्रचलन से। आज सभी अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं। हमारे देश में अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। आजकल शिक्षा व्यवस्था खासतौर पर अंग्रेजी विद्यालयों में हिंदी का कोई विशेष महत्व नहीं है। तो क्षेत्रीय भाषा की बात ही कौन करे? इसकी वजह...
Continue reading...2030 के भारत को केंद्र में रखकर चुने गए 3 राज्यों के मुख्यमंत्री
2030 के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर हुआ एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का चुनाव तीन राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने आम जनमानस के साथ दोनों प्रमुख दलों को भी चौंकाने का काम किया, लेकिन इससे भी कहीं अधिक इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चुनाव ने सत्ता दल के दिग्गज नेताओं...
Continue reading...भारत के भविष्य को आकार देने में युवाओं की भूमिका को कम नहीं आँका जा सकता
भारत को अधिक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य की दिशा की ओर अग्रसर करने में युवा शक्ति अहम् भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का भारत के विकास में अभूतपूर्व योगदान रहा। यही उनकी ख्याति है कि उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक बार कहा था, “मेरा संदेश, विशेष रूप से युवा लोगों...
Continue reading...डिजिटल युवा: समाज में बदलाव लाने और भारत की सफलता के उत्प्रेरक
इस डिजिटल युग में, देश के युवा इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी तक अभूतपूर्व पहुँच स्थापित कर चुके हैं, जो देश की प्रगति के लिए सबसे मजबूत घटकों में से एक है। डिजिटल परिदृश्य को नेविगेट करने में उनकी कुशलता समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती है। सोशल मीडिया के प्रभाव के...
Continue reading...कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी: भारत में रीजनल पीआर के लिए सफलता के पिलर्स
आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, प्रभावी पब्लिक रिलेशन्स की महत्ता पहले से कहीं अधिक है, खासकर तब, जब बात भारत के विविध और जीवंत बाजार को नेविगेट करने की आती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत में किसी भी पीआर कैंपेन की सफलता कल्चर (संस्कृति), कनेक्शन (संपर्क) और क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) की तिकड़ी में महारत हासिल करने पर निर्भर करती...
Continue reading...किताबी ज्ञान तक ही सीमित न हों शिक्षा के मायने
क्या असल जिंदगी के दोहे सिखा सकेगा किताबी ज्ञान? शिक्षा कैसी होना चाहिए? आखिर शिक्षा के मायने क्या होने चाहिए? क्या रट-रट कर हासिल किए गए श्रेष्ठ अंक ले आना बेहतर शिक्षा कहला सकती है? किताबी कीड़ा बनकर एक बेहतर शिक्षार्थी बना जा सकता है? क्या आप भी यही सोचते हैं कि शिक्षा महज़ किताबी ज्ञान हो? सिर्फ चंद किताबें...
Continue reading...एम्प्लॉयीज़ से चलती है कंपनी
यह शत-प्रतिशत सत्य है। जब भी कोई कंपनी अपनी नींव रखने के बाद नए आयाम छूती है, तरक्की करती है, नई दिशाओं में आगे बढ़ती है और सफल होती है, तो बेशक उसमें बॉस का अहम् योगदान होता है। लेकिन सबसे बड़ा योगदान होता है, उसमें काम करने वाले एम्प्लॉयीज़ का, जो इसे अपनी कर्मस्थली मानते हैं। और सही मायने...
Continue reading...लोकतंत्र को आकार देने में युवा मतदाताओं की भूमिका अहम्
भारत में युवा मतदाताओं की भूमिका का बहुत अधिक महत्व है, जो देश में उनकी व्यापक संख्या और लोकतंत्र को गहन रूप से प्रभावित करने की क्षमता से प्रेरित है। एक प्रमुख जनसांख्यिकीय के रूप में, युवा देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही, चुनावी परिणामों, नीतियों और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।...
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