भारत के भविष्य को आकार देने में युवाओं की भूमिका को कम नहीं आँका जा सकता

The role of youth in shaping the future of India cannot be underestimated.

भारत को अधिक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य की दिशा की ओर अग्रसर करने में युवा शक्ति अहम्

भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का भारत के विकास में अभूतपूर्व योगदान रहा। यही उनकी ख्याति है कि उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक बार कहा था, “मेरा संदेश, विशेष रूप से युवा लोगों के लिए है कि वे कुछ अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, हमेशा अपना रास्ता खुद बनाएँ और असंभव को हासिल करें।”

एक राष्ट्र जो ऊर्जा और गतिशीलता से परिपूर्ण है, उसमें युवा पीढ़ी भविष्य की आशा को प्रतिष्ठित करती है। उनके पास ऐसा मजबूत साधन है, जो भारत के भीतर मौजूद विशाल संभावनाओं को उजागर करता है और हमें वर्ष 2047 तक हमारे सपनों के भारत के लिए हमारे दृष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रेरित करता है। अपने अटूट जुनून और आकांक्षाओं से प्रेरित, युवा पीढ़ी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की अपार क्षमता निहित है। उनमें हमारे राष्ट्र के भाग्य को अधिक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य की दिशा की ओर अग्रसर करने की शक्ति है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के युवाओं के पास देश की प्रगति और विकास की कुँजी है। अपने नए दृष्टिकोण, नवीन विचारों और असीमित ऊर्जा के साथ, वे समाज के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति रखते हैं। भारत के भविष्य को आकार देने में युवाओं की भूमिका को कम नहीं आँका जा सकता।

भारत की गतिशील विकास को बढ़ावा देने की क्षमता

जनसंख्या अनुमान पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट, जिसका गठन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया है, यह स्पष्ट करती है कि वर्ष 2021 में, 16 से 29 वर्ष के आयु समूह में युवा जनसंख्या का 27.2% हिस्सा शामिल था, जिसे लेकर उम्मीद है कि यह वर्ष 2036 तक घटकर 22.7% हो जाएगी, लेकिन फिर भी 345 मिलियन की पूर्ण संख्या में अभी-भी यह आँकड़ा बहुत बड़ा है। भारत की 50% से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है और 65% से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। ऐसे में, हमारे समाज का यह गतिशील खंड रचनात्मकता, नवाचार और सुदृढ़ता के साथ ही अप्रयुक्त क्षमता के व्यापक स्रोत के रूप में खुद को स्थापित कर चुका है। युवाओं की यह व्यापक संख्या न सिर्फ विकास और प्रगति का अवसर प्रदान करती है, बल्कि हमारे राष्ट्र की जीवंतता और जीवन शक्ति का प्रतीक भी है। इस जनसांख्यिकीय लाभ के माध्यम से टेक्नोलॉजी और आंत्रप्रेन्योरशिप से लेकर शिक्षा और सामाजिक विकास तक विभिन्न क्षेत्रों में क्राँतिकारी बदलाव अपेक्षित हैं। यह एक जनसांख्यिकीय लाभांश है, जिस पर यदि बुद्धिमानी से ध्यान दिया जाए, तो यह वैश्विक मंच पर भारत की निरंतर प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

राष्ट्र की आवाज- युवा

इस बात पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है कि युवा सिर्फ प्रगति के प्राप्तकर्ता ही नहीं हैं, बल्कि वे इसके लिए सक्रिय भागीदार हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से उन्हें प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं। देश को चाहिए कि स्थानीय समुदायों से लेकर राष्ट्रीय नीतियों तक, सभी स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनके मत को सुने।

किसी भी राष्ट्र में युवाओं को सबसे आशाजनक और गतिशील मानव संसाधन के रूप में माना जाता है, जो जनसांख्यिकीय की संरचना में ही नहीं, बल्कि समाज के सामाजिक पहलू में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सतत विकास के 2030 एजेंडा में भी युवाओं की क्षमता को प्रोत्साहित करने की अनिवार्यता का बखान है, जहाँ सतत विकास लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से युवाओं को शामिल करता है, और उनके सशक्तिकरण, भागीदारी और कल्याण पर जोर देता है। सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में युवा एक बड़ी प्रेरक शक्ति हैं, जो सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक उन्नति और तकनीकी नवाचार के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। चाहे वह मौजूदा समय में जलवायु कार्रवाई की वकालत करना हो, असमानताओं को संबोधित करना हो या फिर लैंगिक असमानता को जड़ से समाप्त करना हो, युवा पीढ़ी सक्रिय रूप से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए कार्रवाई के दशक को उपलब्धि की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

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