कुछ ही महीने पहले बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 9वीं बार शपथ लेने वाले नीतीश कुमार, राजधानी पटना में 18 विपक्षी दलों के साथ बीजेपी के खिलाफ पहली बैठक की मेजबानी कर रहे थे। आगामी लोकसभा चुनावों से पूर्व यह पहला मौका था, जब बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए एक संगठित विपक्ष की चुनौती तैयार हो रही...
Continue reading...राजनीति
मुद्दा नजरिए का है, गलत वो भी नहीं, गलत हम भी नहीं..
“यह छह है, अरे नहीं, नहीं यह नौ है.. अरे भई! साफ दिखाई दे रहा है यह छह है.. नहीं, यह नौ है, तुम मेरी जगह पर आकर देखो..” इस दुनिया में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना मस्तिष्क है, तो स्वाभाविक-सी बात है कि हर एक व्यक्ति एक अलग सोच और स्वतंत्र विचार भी रखता है। इस बात...
Continue reading...छोटे राज्यों के गठन में कैसी बुराई?
स्वतंत्रता से पूर्व भारत 17 प्रांतों और 584 रियासतों में बंटा हुआ था। इसके पश्चात् स्वतंत्रता के समय 15 अगस्त 1947 को भारत में 12 राज्य थे। 26 जनवरी 1950 को जब भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना, तब तक हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्य भी भारतीय संघ का हिस्सा बन चुके थे। फिलहाल भारत...
Continue reading...राजनीतिक रणनीतिकार बनना आजकल बहुत लोकप्रिय हो चुका है
राजनीतिक रणनीतिकार के कौशल सीखना किसी हुनर से कम नहीं हुनर तो वैसे बहुत हैं, जो व्यक्ति विशेष की पहचान होते हैं, लेकिन राजनीति की रणनीति का ताना-बाना बुनना सबसे विशेष अंदाज़ रखता है। राजनीतिक रणनीतिकार बनना आजकल बहुत लोकप्रिय हो चुका है। एक सफल रणनीतिकार बनने के लिए जरुरत होती है, तो बस कौशल की। यदि आप भी राजनीतिक...
Continue reading...चुनावों में होने वाला इतना खर्चा लाते कहाँ से हो बाबू?
भारत देश में चुनावी राजनीति अब आदमी के बस की बात नहीं है। इसके पहले एक सवाल, कि क्या आपने किसी भी पार्टी के चुनाव प्रचार को देखा है? जिसमें चुनाव के समय पर होने वाले अघोषित पैसे का हिसाब आप सोच भी नहीं सकते हैं, जिसमें चल अचल संपत्ति, कार्यकर्ताओं, नेताओं और सरकारी तंत्र और मीडिया के खर्चे, इत्यादि...
Continue reading...तो इस तरह छत्तीसगढ़ में खुद कांग्रेस नेताओं के सहयोग से बनेगी बीजेपी की सरकार
भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद से छत्तीसगढ़ राज्य, मीडिया से लेकर सियासी दलों तक चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकारी योजनाएँ हों, या बघेल की राजनीतिक कुशलता, उन्होंने हर स्तर पर खुद को प्रभावशाली तरीके से स्थापित करने में सफलता हासिल की है। वे पार्टी के राष्ट्रीय मुद्दों में शामिल हो रहे हैं, और महत्वपूर्ण फैसलों में...
Continue reading...अनुसूचित जाति-जनजाति के मतों को कैसे साधेंगे राजनीतिक दल?
चुनावी मौसम में सभी राजनैतिक दल पिछड़ा वर्ग के हितैषी बन जाते हैं और खासकर दलित-आदिवासियों को अपना वोट बैंक बनाने की कवायद में लग जाते हैं। अपनी राजनैतिक मंशाओं को पूर्ण करने के लिए हर पार्टी एक प्लान बनाती है। सभी दलों की नीतियाँ अलग ज़रूर होती हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही होता है, सत्ता तक पहुँचने...
Continue reading...किसके पाले में होंगे विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों के मत?
दलित वोट राजनीतिक दलों के लिए सत्ता तक पहुँचने का एक रास्ता है, तभी तो चुनाव पास आते ही नेताओं के भाषणों में दलितों के लिए योजनाओं और उनके प्रति चिंता झलकने लगती है। कई बड़े नेता दलितों के घरों में अचानक हाल समाचार पूछने चले जाते हैं, तो कई नेता दलितों के घरों में भोजन भी करने लगते हैं।...
Continue reading...उम्मीदवारों के चुनाव में कौन सा फार्मूला अपनाएगी कांग्रेस?
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने को हैं। 2018 में जनता ने कांग्रेस को चुना था, हालाँकि 2020 में कांग्रेसी विधायकों के बीजेपी में जाने के बाद सत्ता कांग्रेस से छीन ली गई थी। अब ऐसे में 2023 के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। कांग्रेस जानती है, इस जंग को जीतने के लिए उसे एक अचूक फॉर्मूले की ज़रूरत...
Continue reading...मध्य प्रदेश में सरकार बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएगा तीसरा दल
एक तरफा जीत से वंचित रहेंगी बीजेपी-कांग्रेस, तीसरे दलों का दिखेगा कमाल भारत जोड़ो यात्रा से लबरेज कांग्रेस और सत्ता सुख में खोई बीजेपी की खामियों का फायदा उठाएगा तीसरा दल इस साल नवंबर दिसंबर में तीन प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग की तारीखों में अभी भले वक्त हो...
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