भारत को अधिक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य की दिशा की ओर अग्रसर करने में युवा शक्ति अहम् भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का भारत के विकास में अभूतपूर्व योगदान रहा। यही उनकी ख्याति है कि उन्हें ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक बार कहा था, “मेरा संदेश, विशेष रूप से युवा लोगों...
Continue reading...Society
डिजिटल युवा: समाज में बदलाव लाने और भारत की सफलता के उत्प्रेरक
इस डिजिटल युग में, देश के युवा इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी तक अभूतपूर्व पहुँच स्थापित कर चुके हैं, जो देश की प्रगति के लिए सबसे मजबूत घटकों में से एक है। डिजिटल परिदृश्य को नेविगेट करने में उनकी कुशलता समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती है। सोशल मीडिया के प्रभाव के...
Continue reading...कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी: भारत में रीजनल पीआर के लिए सफलता के पिलर्स
आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, प्रभावी पब्लिक रिलेशन्स की महत्ता पहले से कहीं अधिक है, खासकर तब, जब बात भारत के विविध और जीवंत बाजार को नेविगेट करने की आती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत में किसी भी पीआर कैंपेन की सफलता कल्चर (संस्कृति), कनेक्शन (संपर्क) और क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) की तिकड़ी में महारत हासिल करने पर निर्भर करती...
Continue reading...“कर भला तो हो भला”; अब भी समय है, इस कहावत को जीवन में उतार लीजिए
जब हम किसी के लिए सहानुभूति और उदारता का भाव रखते हैं, तो समय अपनी झोली में उस सहानुभूति और उदारता का कुछ हिस्सा हमारे लिए सहेजता जाता है कहावत कुछ सुनी-सुनी सी प्रतीत हो रही है न! आप सही समझें हैं, हम सभी ने अपने स्कूल के दिनों में हिंदी विषय में ‘कर भला तो हो भला’ अध्याय पढ़ा...
Continue reading...किताबी ज्ञान तक ही सीमित न हों शिक्षा के मायने
क्या असल जिंदगी के दोहे सिखा सकेगा किताबी ज्ञान? शिक्षा कैसी होना चाहिए? आखिर शिक्षा के मायने क्या होने चाहिए? क्या रट-रट कर हासिल किए गए श्रेष्ठ अंक ले आना बेहतर शिक्षा कहला सकती है? किताबी कीड़ा बनकर एक बेहतर शिक्षार्थी बना जा सकता है? क्या आप भी यही सोचते हैं कि शिक्षा महज़ किताबी ज्ञान हो? सिर्फ चंद किताबें...
Continue reading...एक कप गरमा-गरम चाय की चुस्की और मजबूत संबंध
4,750 वर्ष पहले सम्राट शेन नोंग ने जब चाय की आकस्मिक खोज की, तब उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनकी यह खोज एक दिन न सिर्फ दो लोगों के संबंधों के सृजन, बल्कि उन्हें मजबूत करने का एक प्रतिभाशाली सूत्र बन जाएगी। आज के डिजिटल युग में, जहाँ लोग अक्सर अपने फोन और ई-मेल के माध्यम से अपनी व्यस्तता...
Continue reading...सिर्फ पैसे वाले लोग ही दान कर सकते हैं, यह जरुरी तो नहीं..
वेद, उपनिषद, पुराण और स्मृति, दान के महत्व पर विशेष तौर पर ज़ोर देते हैं। अथर्ववेद सौ हाथों से बटोरने और हजार हाथों से देने का आह्वान करता है। पहले के समय में, दान की अवधारणा को जीवन पर्यन्त ज़रूरतमंदों के काम आने के रूप में देखा जाता था। हालाँकि, दान की वास्तविक परिभाषा और महत्व को लेकर लोगों में...
Continue reading...काला अक्षर इंसान बराबर…..
कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे...
Continue reading...दोषी कौन????????
बीती सुबह, मैं घर के पास ही बने गार्डन में टहल रहा था। रेसीडेंसी के ब्लॉक बी और सी में रहने वाले मेरे कुछ मित्र रनिंग और एक्सर्साइज़ छोड़कर बड़ी ही गहरी चर्चा में लगे हुए थे। चर्चा इतनी विशेष थी, मानों वे सभी सुबह होने का ही इंतज़ार कर रहे थे कि कब हम सभी मिलें और इस बारे...
Continue reading...कितना सच्चा? कितना झूठा?
वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...
Continue reading...