रोबोट स्क्वैयर से महेश्वर जाने के लिए मैंने जैसे ही गूगल मैप पर लोकेशन डाली, डायरेक्शन पर क्लिक करते ही काली स्क्रीन पर नीले रंग की लम्बी-सी लाइन मेरे मोबाइल में आ गई। बस फिर क्या था, उस लाइन पर नज़र आ रहे एरो के निशान के साथ-साथ मैं चल पड़ा, जो कहीं न कहीं सैटेलाइट से प्रदर्शित होता मेरा ही प्रतिबिम्ब था।
मुझे गाड़ी चलाने के दौरान कोई परेशानी न हो और बार-बार मोबाइल न देखना पड़े, इसके लिए पीछे बैठकर साथ जा रहे रास्ता बताने वाले किसी व्यक्ति की तरह एक लड़की की खूबसूरत आवाज़ मुझे मेरी मंजिल का रास्ता बताने लगी। एक कान में ब्लूटूथ की बड लगाकर मैं किशोर दा के गाने सुनते हुए अपनी ही धुन में चला जा रहा था, कि आवाज़ आई,
“जस्ट टेक द राइट टर्न फ्रॉम कमिंग स्क्वैयर”, जिस पर मेरा ज़रा भी ध्यान नहीं था। फिर क्या, मैंने लेफ्ट टर्न ले लिया, और अचानक गुर्राई आवाज़ में बदलती वह खूबसूरत आवाज़ कहती है, “मुर्ख मानव, मैंने जो कहा, क्या वह सुना नहीं? जब मेरी सुनना ही नहीं था, तो मदद मांगी ही क्यों? जा अब खुद ढूंढकर पहुँच अपनी मंजिल पर।”
उपरोक्त कथित बातें बेतुकी-सी प्रतीत हो रही होंगी? है ना…. लेकिन यह सत्य है। मदद की भावना से कोसों दूर जा चुका मानव अब अभिवृत्ति और अहम् की चकाचौंध में खो गया है। ज़रा गंभीरता से इस बात पर विचार करके देखना कि यदि हमारी छोटी-सी गलती पर गूगल मैप ठीक इसी तरह भड़क पड़े, तो क्या हो? यदि सच में ऐसा होने लगे, तो पूरी संभावना है कि हम इसका उपयोग करना ही बंद कर दें। लेकिन गूगल ऐसा नहीं करता है, वह तो केवल री-रूट करता है। यदि आप भटक भी गए, तो आपको अपनी मंजिल तक पहुँचाने का अगला सबसे अच्छा रास्ता दिखाता है। कथनार्थ यह है कि इसकी प्राथमिक रुचि आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचाने में है, न कि आपकी गलती पर बुरा महसूस कराने में।
लेकिन सबसे अच्छा विकल्प समस्या से उबारने में मदद करना है, दोष देना नहीं। तो क्यों न हम भी गूगल मैप की तरह सकारात्मक रहें और एक बड़ा बदलाव अपने भीतर लाने का सार्थक प्रयास करें?
स्नेह से समझाई गई बात का असर, नाराज़गी जताने से कई गुना अधिक होता है। हम यह क्यों भूल जाते हैं, कि आखिर वह भी इंसान ही है। मानवता के भाव को प्रखर रखते हुए अपने री-रूटिंग के क्षणों को जीवित रखें, फिर देखें, आप किस तरह अपनों के सबसे करीब हो जाते हैं। तो अब से अपनों के लिए गूगल मैप बनें, उन सभी लोगों का ख्याल रखें, और उन्हें जीवन रुपी मंजिल के आसान रास्तों से अवगत कराएं, जिनके लिए आप मायने रखते हैं।
यह एक बहुत अच्छा सबक है…. अपनी निराशा और क्रोध को उन लोगों पर उतारना आसान है, जिन्होंने गलती की है। विशेष रूप से उन लोगों पर, जो हमारे करीबी और परिचित हैं।