पीआर परिदृश्य में किस तरह क्राँति ला रही है क्रिएटर इकॉनमी?

How is the creator economy revolutionizing the PR landscape?

कहानी कहने की कला और आकर्षक कॉन्टेंट हमेशा ही दर्शकों के मन-मस्तिष्क में विशेष स्थान रखते हैं। सोशल मीडिया के आगमन ने इस विशेष कला को ऊँचा उड़ने के लिए नए पंख दिए हैं, जिसके माध्यम से स्टोरीटेलिंग आर्टिस्ट्स को बतौर ऑनलाइन खुद को अभिव्यक्त करने के असीमित अवसरों की सौगात मिली है। पहले के समय में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स सिर्फ और सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करने या समय व्यतीत करने के माध्यम तक ही सीमित थे, लेकिन देखते ही देखते इसमें बड़ी क्राँति आई और यह उन आर्टिस्ट्स के लिए धन अर्जित करने का महत्वपूर्ण स्रोत बन गया, जो दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए एक नहीं, बल्कि विभिन्न तरीके अपनाना और विशेष रूप से मनोरंजन से अधिक ज्ञानवर्धक कॉन्टेंट की पेशकश शामिल करते थे। और इस तरह, एक नए युग का आरंभ हुआ। एक तरह से, हम क्रिएटर इकॉनमी की उस दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं, जहाँ ब्रांड्स तेजी से अपने दर्शकों तक पहुँचने के लिए बेहतर क्रिएटर्स के साथ जुड़ रहे हैं। एंटरटेनमेंट-सेंट्रिक इस प्लेटफॉर्म की बिज़नेस-सेंट्रिक क्षेत्र में तब्दीली नई सोच को दर्शाती है। साथ ही, क्रिएटर्स की इस सराहनीय विचारधारा से पीआर और मार्केटिंग इंडस्ट्री को भी लाभ के नए स्तर प्राप्त हुए हैं।

क्रिएटर इकॉनमी क्या है?

सरल शब्दों में, क्रिएटर इकॉनमी, कई स्वतंत्र कॉन्टेंट क्रिएटर्स, क्यूरेटर्स और कम्युनिटी बिल्डर्स द्वारा निर्मित व्यवसायों का एक वर्ग है, जिसमें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, ब्लॉगर्स और वीडियोग्राफर्स के साथ ही साथ सॉफ्टवेयर और फाइनेंस टूल्स शामिल हैं। इन्हें डिज़ाइन करने का कारण विकास और मुद्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए मदद करना है।

क्रिएटर इकॉनमी ने नए फुल टाइम और पार्ट टाइम प्रोफेशनल अवसरों को अनलॉक किया है, इनमें से अधिकतर जेन जेड और मिलेनियल्स के लिए हैं, जो पारंपरिक करियर में कम रुचि रखते हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कॉन्टेंट क्रिएशन आय का एक प्रबल स्रोत हो सकता है, लेकिन इसमें सफल होने के लिए समय और प्रतिबद्धता बेहद आवश्यक हैं।

कई मायनों में, क्रिएटर इकॉनमी लोगों को वह सब करने का अवसर देती है, जिसके लिए वे जुनूनी होते हैं। इसके माध्यम से उन्हें न सिर्फ अपनी पसंदीदा फुर्सत वाली गतिविधि को करने का मौका मिलता है, बल्कि वे इससे धन भी अर्जित कर पाते हैं। उदाहरण के तौर पर समझें, तो क्या कभी किसी ने इसके बारे में था कि घर बैठे मेकअप कैसे किया जाता है, या ब्रश कैसे पकड़ा जाता है, यह सिखाकर, या फैशन और मौजूदा ट्रेंड्स के बारे में दर्शकों को सलाह देकर भी आप धन कमा सकते हैं।

हाल के समय में ऐसे कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स मौजूद हैं, जहाँ आप अपने क्रिएटिव टैलेंट को ऑनलाइन बेच सकते हैं। टंबलर और वर्डप्रेस (ब्लॉगर्स के लिए), ट्विच और मिक्सर (लाइव स्ट्रीमर्स के लिए), इंस्टाग्राम और पिंटरेस्ट (फोटोग्राफर्स और फैशनपरस्त लोगों आदि के लिए), और यूट्यूब और टिकटॉक (फिल्ममेकर्स के लिए) जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से आज घर बैठे धन कमाने की जैसे होड़ लगी हुई है।

क्रिएटर इकॉनमी और ब्रांड इंगेजमेंट

भारतीय इन्फ्लुएंसर इकॉनमी 900 करोड़ रुपए के व्यवसाय तक विस्तार कर चुका है। ग्रुपएम आईएनसीए की इंडिया इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक, इसके 25% सीजीएआर पर 2,200 करोड़ रुपए तक बढ़ने की उम्मीद है।

आज जनता इन कॉन्टेंट क्रिएटर्स को बेहद प्रभावशाली लोगों के रूप में देखती है। यहाँ तक कि कुछ सफल कॉन्टेंट क्रिएटर्स को अक्सर पॉप आइडल्स या फिल्मी हस्तियों की तरह ही सम्मान दिया जाता है, जिन्हें उनके फैंस और फॉलोअर्स के बीच खूब प्रसिद्धि, प्रशंसा और समर्थन प्राप्त होता है। इसके बावजूद ये “हस्तियाँ” जिन्हें नेटिज़न्स पसंद करते हैं या प्रशंसा करते हैं, वे उनके साथ हस्तियों की तरह पेश नहीं आते हैं। वे अपने फॉलोअर्स के साथ नियमित रूप से बातचीत करते हैं और जीवन की वास्तविकताओं के आधार पर उन्हें कॉन्टेंट परोसते हैं।

यकीनन, हाल के वर्षों में कॉन्टेंट क्रिएटर्स और उनके फैंस के बीच संबंध और भी गहरे हो गए हैं, क्योंकि आय के स्रोत के रूप में ये क्रिएटर्स सब्सक्रिप्शन पेमेंट्स के आधार पर अपने दर्शकों से जुड़ने पर अधिक भरोसा करने लगे हैं।

ब्रांड्स भी विश्वास, प्रशंसा और मित्रता के साथ बनाए गए इन संबंधों के मूल्य को समझने लगे हैं। यही कारण है कि वे लक्षित दर्शकों के बीच अपने ब्रांड मूल्य को बढ़ाने के लिए इन प्रभावशाली लोगों तक पहुँच रहे हैं।

हाल के वर्षों में उपभोक्ताओं के मीडिया कंज़म्प्शन पैटर्न्स में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। दर्शक प्रासंगिक, विविध और संदर्भित कॉन्टेंट चाहते हैं। वे सीधा जुड़ाव चाहते हैं। दर्शकों के साथ गहरे संबंध स्थापित करने में ब्रांड की मदद करने के लिए क्रिएटर्स अपने आकर्षक कॉन्टेंट के साथ अत्यधिक विश्वसनीय होते जा रहे हैं। उनके फॉलोअर्स उन्हें एक मित्र के रूप में देखते हैं, इसलिए यदि वे जब भी किसी प्रोडक्ट की सिफारिश करते हैं, तो उनके द्वारा इसे आज़माने की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।

मीडिया के विकास ने पब्लिक रिलेशन्स के आयामों को जन्म दिया है। आज, पीआर टूल्स समाचार पत्रों या पत्रिकाओं जैसे ट्रेडिशनल मीडिया तक ही सीमित नहीं हैं। दर्शकों की पसंद में बदलाव को देखते हुए ब्रांड्स अपने संचार के माध्यमों में भी बदलाव कर रहे हैं। क्रिएटर इकॉनमी कम्युनिकेशन्स इंडस्ट्री का एक अपरिवर्तनीय हिस्सा बन गई है। ग्राहक का रुख हमेशा पीआर और मार्केटिंग की सबसे शक्तिशाली अवधारणाओं की तरफ ही रहा है, और क्रिएटर इकॉनमी का उदय इसका सार्थक उदाहरण है।

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