खड़ूस.. अकड़ू.. ये ऐसे अनकहे शब्द हैं, जो हमेशा ही मेरे कानों में गूँजते हैं, जब भी स्टाफ का कोई मेंबर तनी हुई भौहें लेकर गुस्से से आसपास से गुजर रहा होता है। मुँह पर कोई नहीं कह पाता, लेकिन मेरा मानना है कि बेशक स्टाफ के चुनिंदा लोगों के मन में यह नाम आ ही जाता होगा। यह तो हुई स्टाफ के मन की बात! लेकिन एक बॉस होने के नाते मैं और हर एक बॉस यही चाहता है कि सबको अपने से जोड़कर रखे और किसी के मन में बुरे ख्यालों के रूप में वह न पनपे।
एक सफल बिज़नेस और अच्छा स्टाफ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसके लिए बॉस या आंत्रप्रेन्योर में ऐसे गुण होने चाहिए, जिससे वह अपने स्टाफ से खूब वाहवाही बटोरे और सबका पसंदीदा बॉस बन जाए। याद रहे कि किसी भी कर्मचारी की सफलता आपकी बेहतरीन लीडरशिप पर निर्भर करती है। अगर आप एक बेहतर लीडर हैं और टीम को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, तो स्टाफ हमेशा आपका साथ देता है।
एक अच्छा वातावरण बेशक कैंपस में अहम् भूमिका निभाता है, लेकिन महज़ वातावरण तक ही ऑफिस सीमित नहीं है। समय-समय पर छोटी-छोटी एक्टिविटीज़ न सिर्फ स्टाफ को खुश कर जाती है, बल्कि काम करने की एक नई स्फूर्ति उन्हें उपहार में दे जाती हैं। मैं अक्सर मेंबर्स को इस तरह की एक्टिविटीज़ के जरिए जोड़कर रखने में विश्वास रखता हूँ।
बेहतर काम करने पर मेंबर्स की वाहवाही और तारीफ उन्हें आपके करीब लाने का काम करेगी। “तुमने बहुत शानदार काम किया है”, “यह काम तुम चुटकियों में कर लोगे, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है”, “तुम हो, तो फिर किस बात की चिंता”, “मैं कैसे तुम्हारा साथ दे सकता हूँ”, “मुझे पता था, तुम यह कर लोगे” जैसे शब्द कब गागर में सागर का काम कर देंगे, पता भी नहीं चलेगा।
मैं मानता हूँ कि भले ही आपके और टीम मेंबर के बीच कुछ खटपट चल रही हो, बात बंद नहीं होना चाहिए। उसने डिनर लिया या नहीं, स्वास्थ्य ठीक है या नहीं, जैसे बिंदुओं पर उसका पर्सनल अटेंशन कभी आपको उस मेंबर से दूर नहीं कर सकेगा।
यदि आप टीम के किसी मेंबर की गलती की जिम्मेदारी खुद पर ले लेते हैं, और अपने द्वारा किए गए किसी अच्छे काम का श्रेय टीम मेंबर को देना जानते हैं, तो बेशक आप सबसे अच्छे और भरोसेमंद बॉस हैं। इसके विपरीत यदि अपनी गलतियों का जिम्मा आप टीम या इसके किसी मेंबर पर थोप देते हैं और उनके द्वारा किए गए अच्छे काम का श्रेय यह कहकर खुद पर ले लेते हैं कि “यह तो मैंने किया”, “यह मेरी वजह से हो सका है”, “इसे करना तुम्हारे बस की बात नहीं थी”, “मैं नहीं होता, तो आज कंपनी का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता” यकीन मानिए, उस दिन आप टीम पर से अपना भरोसा खो चुके होंगे।
जाहिर सी बात है कि आप बॉस हैं, तो आपको अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन यहाँ तक एक बॉस का दायरा सीमित नहीं होता है, यानि यदि आप में बोलने की प्रेरणा है, तो सुनने की क्षमता भी बेशक होना ही चाहिए। यदि टीम मेंबर आप तक कोई बात लेकर आया है, तो पहले शांत मन से उसकी पूरी बात सुनें। अपनी बात को पुरजोर तरीके से तो हर कोई रख सकता है, लेकिन किसी की बात धैर्य से सुनना हर किसी के बस की बात नहीं है। यकीन मानिए, यदि सुनने की क्षमता आप में नहीं है, तो मेंबर अपनी समस्या कभी आपके पास लेकर नहीं आएगा।
कई दफा यह भी हो सकता है कि आपसे अच्छा आईडिया टीम मेंबर के पास हो, इस स्थिति में यह कहने के बजाए कि मैंने जो कह दिया वही सही है, उनके आईडिया को अपनाएँ। टीम उस बॉस को बेहद पसंद करती है, जो बॉस होने के साथ ही एक अच्छा और सच्चा दोस्त बनने का रवैया रखता हो। एक बॉस और टीम का रिश्ता कुछ ऐसा होना चाहिए, जिसकी छाव में कोई भी अपनी बात कहने में झिझके नहीं। टीम से दोस्ताना बनाए रखना, सबके हाल-चाल लेना, परिवार की खैरियत पूछना, यदि मेंबर किसी तकलीफ में हैं, तो उसका साथ देना, ये कुछ ऐसे गुण हैं, जो अनचाहे ही आपका सम्मान बढ़ा देंगे।
बॉस का दायरा यदि बॉस तक सीमित न रखा जाए, तो बेशक एम्प्लॉयीज़ भी एम्प्लॉयीज़ तक सीमित न रहकर परिवार के सदस्य की तरह पेश आएँगे। यही है एक सफल बॉस की बेशकीमती पहचान..