क्या उस गरीब को मास्क पहने देखा है, जो चैबीसों घंटे इस जहरीली हवा में रहने को मजबूर है?
जब आने वाली पीढ़ियां आपसे जबाव मांगेंगी कि आखिर आपने उन्हें इतना प्रदूषण भेंट में क्यों दिया, तो क्या जबाव देंगे आप? खैर, आने वाली पीढ़ियों की बात तो हम बाद में करेंगे। पहले उनकी बात कर लेते हैं, जो आपकी वजह से इस प्रदूषण में रहने को मजबूर हैं। गरीबी का प्रदूषण तो वो झेल ही रहे थे, लेकिन अब जानलेवा हवा का प्रदूषण भी उनकी सांसों को कमजोर करता चला जा रहा है।
खैर! यह सब आप क्यों सोचेंगे, आपके घर में तो ताजा भोजन और शुद्ध पानी है। इतना ही नहीं, आप तो घर के बाहर भी पूरे इंतजाम के साथ निकलते हैं। काश! उस गरीब का भी ख्याल कर लिया होता, जो चैबीसों घंटे इस जहरीली हवा में रहने को मजबूर हैं, गंदा पानी पीने को मजबूर हैं और कूड़े से निकला बचा-खुचा खाने को मजबूर हैं।
सरकार, आपके दफ्तर और आपके बच्चों के स्कूलों की छुट्टियां तो घोषित करवा देती है। लेकिन उन गलियों, उन रैन बसेरों, फुटपाथों और बस्तियों का क्या, जहाँ ये गरीब बसते हैं, क्या वह वहाँ भी कोई इंतजाम करा पाती है? सरकार से निवेदन है मेरा कि वह इन गलियों का भी रूख करे, क्योंकि यह जहरीली हवा अमीरों से ज्यादा गरीबों को अपना शिकार बना रही है।
जब अमीरों को परेशानी होती है, तो वो सरकार तक पहुँच जाते हैं, मीडिया डिबेट में शामिल हो जाते हैं। गुजारिश है मेरा उन मीडियाकर्मियों से कि अपने कैमरे का फोकस ज़रा इन अमीरों से हटा, उन गरीबों की ओर मोड़ लें और ज़रा एक मास्क उन्हें भी पहना दें, क्योंकि इन अमीरों से ज्यादा प्रदूषण उन गरीबों को डसता है।
वह दिन दूर नहीं, जब सुनने में आएगा कि एक गरीब मर गया, इसलिए नहीं क्योंकि उसके मुँह में निवाला नहीं था, बल्कि इसलिए क्योंकि उसे सांस लेने का भी मोहताज बना दिया गया था। एक और बात, जो अमीर सबसे ज्यादा प्रदूषण का शोर मचा रहे हैं, प्रदूषण फैलाने के पीछे वे ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।