Atul Malikram

छोटे राज्यों के गठन में कैसी बुराई?

What is the harm in forming small states?

स्वतंत्रता से पूर्व भारत 17 प्रांतों और 584 रियासतों में बंटा हुआ था। इसके पश्चात् स्वतंत्रता के समय 15 अगस्त 1947 को भारत में 12 राज्य थे। 26 जनवरी 1950 को जब भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना, तब तक हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्य भी भारतीय संघ का हिस्सा बन चुके थे। फिलहाल भारत...

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पृथक राज्य की माँग के साथ कब तक दिव्यांग बना रहेगा बुंदेलखंड?

How long will Bundelkhand remain disabled with the demand for a separate state?

हर साल बुंदेलखंड में लहलहाएँगे बाग और खिलखिलाएँगी फसलें, की खबरें तो अखबारों की शोभा बढ़ाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी दिल्ली दूर ही नज़र आती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिले मिलाकर बना बुंदेलखंड क्षेत्र आज भी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। इसके एक नहीं, बल्कि कई प्रमाण देखने को मिलते हैं। साल...

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आखिर कब होगी एसडीजी 2030 की शुरुआत और लक्ष्य की प्राप्ति

When will SDG 2030 start and the target be achieved?

एसडीजी 2030 लक्ष्यों की ओर कछुआ गति से बढ़ रहा है भारत सभी जानते हैं कि हम सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा की शुरुआत से लेकर मंजिल तक पहुँचने के बीच लगभग आधा सफर तय कर चुके हैं। इसके बावजूद हम काफी पीछे जान पड़ते हैं। सरकार को संभावित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपने काम में तेजी लाने...

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जेल में ही तैयार होते हैं अपराधी?

Are criminals prepared in jail only?

जेल एक ऐसी जगह है, जहाँ मामूली-से अपराध का भी एक आरोपी को प्रायश्चित होता है। लेकिन जिस समय उसे वास्तव में सांत्वना अपेक्षित है, यदि उस समय उसके साथ सही व्यवहार नहीं किया जाता, तो उसे एक कट्टर अपराधी बनने में तनिक भी देर नहीं लगती। जेल में लगभग सारे अपराधी अकेले में रोज अपने अपराध से गुजरते हैं...

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जेलों की स्थिति में सुधार न करके, कहीं हम अपराध को बढ़ावा तो नहीं दे रहे?

By not improving the conditions of prisons, are we encouraging crime?

लम्बे समय से यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि भारत में जेलों की स्थिति उस स्तर की नहीं है, जो कि वास्तव में होना चाहिए। दरअसल, विगत कुछ वर्षों में देश की जेलों की हालत बद से बदतर हो गई है। मानवाधिकारों और कानून के शासन को महत्व देने वाले समाज के लिए जेलों की बदतर स्थिति एक...

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अब भी नहीं जागी, तो कब जागेगी सरकार – घुमंतू समाज

If the government has not woken up yet, then when will the government wake up - Nomadic Society

इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, दशकों से सो रही सरकार को अब जागने की सख्त जरुरत है भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने में खानाबदोश समुदायों की भूमिका हमेशा ही महत्वपूर्ण रही है। ये समुदाय संगीत, कला और परंपराओं के अद्भुत प्रचारक रहे हैं। भारत भर में घूम-घूमकर अपना जीवन यापन करने वाले प्रत्येक खानाबदोश समुदाय को...

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राजनीतिक रणनीतिकार बनना आजकल बहुत लोकप्रिय हो चुका है

Becoming a political strategist has become very popular these days.

राजनीतिक रणनीतिकार के कौशल सीखना किसी हुनर से कम नहीं हुनर तो वैसे बहुत हैं, जो व्यक्ति विशेष की पहचान होते हैं, लेकिन राजनीति की रणनीति का ताना-बाना बुनना सबसे विशेष अंदाज़ रखता है। राजनीतिक रणनीतिकार बनना आजकल बहुत लोकप्रिय हो चुका है। एक सफल रणनीतिकार बनने के लिए जरुरत होती है, तो बस कौशल की। यदि आप भी राजनीतिक...

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यदि अब भी नहीं, तो आखिर कब?

If not now, then when?

रतन टाटा को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करना, क्या भूल चुका है देश? 85 वर्षीय बिज़नेस टाइकून- रतन टाटा, जिन्होंने बार-बार स्वयं को महज़ एक उद्योगपति से कहीं अधिक साबित किया है, उन्हें कभी वह तवज्जो नहीं दी गई, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। रतन टाटा उस हर एक भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो अपने जीवन...

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चुनावों में होने वाला इतना खर्चा लाते कहाँ से हो बाबू?

Babu, where do you get so much expenditure on elections from?

भारत देश में चुनावी राजनीति अब आदमी के बस की बात नहीं है। इसके पहले एक सवाल, कि क्या आपने किसी भी पार्टी के चुनाव प्रचार को देखा है? जिसमें चुनाव के समय पर होने वाले अघोषित पैसे का हिसाब आप सोच भी नहीं सकते हैं, जिसमें चल अचल संपत्ति, कार्यकर्ताओं, नेताओं और सरकारी तंत्र और मीडिया के खर्चे, इत्यादि...

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तो इस तरह छत्तीसगढ़ में खुद कांग्रेस नेताओं के सहयोग से बनेगी बीजेपी की सरकार

So in this way BJP government will be formed in Chhattisgarh with the help of Congress leaders themselves.

भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद से छत्तीसगढ़ राज्य, मीडिया से लेकर सियासी दलों तक चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकारी योजनाएँ हों, या बघेल की राजनीतिक कुशलता, उन्होंने हर स्तर पर खुद को प्रभावशाली तरीके से स्थापित करने में सफलता हासिल की है। वे पार्टी के राष्ट्रीय मुद्दों में शामिल हो रहे हैं, और महत्वपूर्ण फैसलों में...

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