खुशियाँ बिखेरने के लिए अपनी खुशियाँ कैसे खुशी-खुशी कुर्बान कर देते हैं पापा “प्रकृति की उत्कृष्ट कृति पिता का दिल है” ‘पिता’ एक ऐसा शब्द है, जो हमेशा ईश्वर के साथ गूँजता है। दो अक्षर का यह खूबसूरत शब्द भावनाओं का सैलाब लाने और उसमें साथ बहा ले जाने के लिए काफी है। पिता शब्द से सुरक्षित इस जहान में...
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युवाओं का जिम्मेदारी और दवाब से भागना, भारत में ‘द ग्रेट रेजिग्नेशन’ का सबसे बड़ा कारण
जिस देश में 5 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हों, वहां ‘द ग्रेट रेजिग्नेशन’ जैसी प्रवृत्ति का तेजी से बढ़ना, काम पर आराम हावी होने का संकेत समझा जा सकता है। वक्त आराम का नहीं मिलता, काम भी काम का नहीं मिलता.. इन दिनों ज्यादातर वर्किंग क्लासेस युवाओं की सोच मुज़्तर ख़ैराबादी के इस शेर से वाबस्ता रखती हैं। भारत...
Continue reading...भारत के एजुकेशन सिस्टम को बदलते समय के अनुकूल होने की खास जरूरत
प्रगतिशील देशों को एक साथ काम करने के लिए प्रगतिशील दिमाग की जरूरत है। इसके लिए देशों को मानव-मन की क्षमताओं को उजागर करने की आवश्यकता है, और इन्हें उजागर करने का शिक्षा या एजुकेशन से बेहतर माध्यम मेरे ज़हन में नहीं आता। भारत में एजुकेशन सिस्टम वैदिक काल से चला आ रहा है, जब गुरुकुल या पाठशालाएँ, गुरुजनों की...
Continue reading...सिर्फ मान्यताएँ ही नहीं, विज्ञान भी कहता है गाय को पवित्र
भारत अपनी युगों पुरानी मान्यताओं और अद्भुत परंपराओं की गोद में फला-फूला देश है। प्राचीन काल से ही पशु जीवन के प्रति हिंदू धर्म में गहन आस्था रही है। और विशेष तौर पर जब गाय की बात आती है, तो यह विश्वास कई गुना बढ़ जाता है। गायों को दैवीय स्वरुप और प्रकृति का उपकार माना जाता है। लेकिन बतौर...
Continue reading...हैं तैयार हम…
जीवन में हमें अपने आसपास दो तरह के लोग देखने को मिलते हैं, एक वो जो छोटी-मोटी मुश्किल को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, और सिर्फ यह कहते हुए दिख पड़ते हैं, कि यह फलाना काम कैसे होगा, यह तो बेहद मुश्किल है आदि। दूसरे वो जो बड़ी से बड़ी मुश्किल को यह कहकर छोटा कर देते हैं कि यह तो...
Continue reading...फिर हुईं अनसुनी, कैदियों की खामोश चीखें….
गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में हिरासत में 1,845 कैदी मौत के घाट उतर गए, जो पिछले 20 वर्षों में भारतीय जेलों में हुई सबसे अधिक मौतें हैं, जबकि जेलों की औसत ऑक्यूपेंसी 117.6% थी। निस्संदेह, भारत में जेलों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में भीड़भाड़, कर्मचारियों की अनुपलब्धता और धन के...
Continue reading...“परिवर्तन ही संसार का नियम है”, भूल चले हैं इस कहावत को हम..
हर दिन आगे बढ़ने के साथ-साथ पीछे छूट जाती हैं कई बातें, कई कहावतें, और महज़ कहानियाँ बनकर रह जाते हैं वो तमाम मुहावरें, जो हमारे बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं। “परिवर्तन ही संसार का नियम है….” कभी तो यह एक दिन में कई बार कही जाने वाली कहावत थी, और आज हम इसका अर्थ ही भूल चले हैं। अब तो...
Continue reading...उदासीनता और लापरवाही की शिकार, हॉकी के जादूगर की प्रतिमा
मेजर ध्यान चंद भारत माता के उन सपूतों में से एक हैं, जिनका नाम ही उनकी पहचान है। अब तक के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक ध्यान चंद ने अपनी हॉकी स्टिक से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया, और तो और भारत को विश्व मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाने में भी अटूट योगदान दिया। हॉकी के जादूगर...
Continue reading...और फिर मासूमों की मौत का कारण हमारी चंद घंटों की खुशी….
पटाखों की गगनभेदी आवाज़, और हजारों की तादाद में जान बचाकर एक साथ उड़ते पक्षी…. चकाचौंध भरी रोशनी, कानों को परेशान कर देने वाली आवाज़ें और आतिशबाजी…. ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें हम बहुत ही ज्यादा मजेदार मानते हैं, लेकिन मूक जानवरों, पक्षियों और बुजुर्गों के लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं। पटाखे जलाने को ही...
Continue reading...बेदाग होते हुए भी कलंक साथ लेकर घूमने को मजबूर, घुमंतू समाज..
भारत के विमुक्त, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश समुदाय दशकों से ऐसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं, जहाँ हमेशा से ही उन्हें इस तरह दरकिनार किया जाता रहा है, जैसे कि वे देश का हिस्सा ही नहीं हैं। भारतीय समाज सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले इस उपेक्षित और वंचित समुदाय को कई नकारात्मक और आपराधिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता...
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