Hindi

एक कप गरमा-गरम चाय की चुस्की और मजबूत संबंध

Sip a cup of hot tea and have a strong relationship

4,750 वर्ष पहले सम्राट शेन नोंग ने जब चाय की आकस्मिक खोज की, तब उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनकी यह खोज एक दिन न सिर्फ दो लोगों के संबंधों के सृजन, बल्कि उन्हें मजबूत करने का एक प्रतिभाशाली सूत्र बन जाएगी। आज के डिजिटल युग में, जहाँ लोग अक्सर अपने फोन और ई-मेल के माध्यम से अपनी व्यस्तता...

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मैं हूँ ना !!

I am here!!

आप सिर्फ काम पर फोकस करें, बाकी टेंशन कंपनी पर छोड़ दीजिए एक कामकाजी आम नागरिक सबसे ज्यादा वक्त कहाँ बिताता है? घर, मार्केट या रिश्तेदारों में? शायद इनमें से कहीं नहीं… क्योंकि दिन में उसका सबसे अधिक समय उसके ऑफिस या काम की जगह पर ही जाता है। अब एक सामान्य कामकाजी इंसान के पास कितनी तरह की दिक्कतें...

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सिर्फ पैसे वाले लोग ही दान कर सकते हैं, यह जरुरी तो नहीं..

Only people with money can donate, it is not necessary..

वेद, उपनिषद, पुराण और स्मृति, दान के महत्व पर विशेष तौर पर ज़ोर देते हैं। अथर्ववेद सौ हाथों से बटोरने और हजार हाथों से देने का आह्वान करता है। पहले के समय में, दान की अवधारणा को जीवन पर्यन्त ज़रूरतमंदों के काम आने के रूप में देखा जाता था। हालाँकि, दान की वास्तविक परिभाषा और महत्व को लेकर लोगों में...

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काला अक्षर इंसान बराबर…..

Black letter equals human...

कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया कि इंसान अपनी बात को मजबूत करने के लिए बेज़ुबान तक को भी नहीं छोड़ता है। ऐसे हजारों मुहावरे भरे...

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दोषी कौन????????

Who is guilty????????

बीती सुबह, मैं घर के पास ही बने गार्डन में टहल रहा था। रेसीडेंसी के ब्लॉक बी और सी में रहने वाले मेरे कुछ मित्र रनिंग और एक्सर्साइज़ छोड़कर बड़ी ही गहरी चर्चा में लगे हुए थे। चर्चा इतनी विशेष थी, मानों वे सभी सुबह होने का ही इंतज़ार कर रहे थे कि कब हम सभी मिलें और इस बारे...

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कितना सच्चा? कितना झूठा?

How true? such a liar?

वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...

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क्या गरीब व्यक्ति शादियों में जाना ही छोड़ दे?

Should a poor person stop going to weddings?

हमारे रिश्तेदार क्या पहन रहे हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता, भाग-दौड़ भरे जीवन में वे हमारी खुशियों में शामिल हुए हैं, यह सबसे अधिक मायने रखता है सोने के आभूषण अमीर लोगों पर चमकते हैं साहब, गरीबों की कहाँ चका-चौंध! क्योंकि आलीशान शादी समारोह में शानदार रेड कार्पेट्स अमीरों का स्वागत करते हैं। दिखावे को होड़ जो लगी पड़ी है….....

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कैसा हो? यदि आपको दो वक्त की रोटी न मिले…..

how are you? If you don't get bread twice a day...

“बेज़ुबान हैं, तो क्या हुआ, प्यास तो उन्हें भी लगती है” ज़रा सोचिए, आपको बहुत तेज़ भूख लगी हो, और आपको खाने के लिए दिन भर कुछ भी न मिले। गर्मी के मौसम में तपती धूप में बैठा दिया जाए, और प्यास से तड़पने के बावजूद कई दिनों तक पीने के लिए पानी न दिया जाए। क्या हुआ? किस सोच...

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बलात्कार अपराध नहीं, एक मानसिक बीमारी है

Rape is not a crime, it is a mental illness

भारत देश में बेटियों को लक्ष्मी माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है। फिर भी इस देश में बलात्कार के मामले आम हैं। कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारा समाज बीमार है, समाज की विचारधारा में परिवर्तन की आवश्यकता है। यह बीमारी है। भारत की पुरुष प्रजाति बीमार है। उनकी मनोस्थिति की बनावट को...

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जरुरी नहीं है कि आपकी प्रबलता हर जगह काम आए

It is not necessary that your strength works everywhere.

इंसान को कई बार घमंड हो चलता है, कभी अपने रुतबे का, तो कभी अपने इंसान ही होने का। वह अक्सर दुनिया में रहने वाले सभी प्राणियों को खुद से कम ही आँकता है। मैं आज तक नहीं जान पाया कि भला इसके पीछे वास्तव में कारण क्या है? क्या यह इंसान को मिली बोली है, जो उसके घमंड का...

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