जीवन की आपाधापी में कहीं विलुप्त न हो जाए समाज सेवा
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मदद करें, यदि यह वास्तव में आपके लिए मतलब रखता है, इसलिए नहीं कि आप इसे लेकर मतलबी हैं
मदद करें, यदि यह वास्तव में आपके लिए मतलब रखता है, इसलिए नहीं कि आप इसे लेकर मतलबी हैं
Continue reading...पहले गरीब भूख से मरता था, अब वह प्रदूषण से मरता है
क्या उस गरीब को मास्क पहने देखा है, जो चैबीसों घंटे इस जहरीली हवा में रहने को मजबूर है? जब आने वाली पीढ़ियां आपसे जबाव मांगेंगी कि आखिर आपने उन्हें इतना प्रदूषण भेंट में क्यों दिया, तो क्या जबाव देंगे आप? खैर, आने वाली पीढ़ियों की बात तो हम बाद में करेंगे। पहले उनकी बात कर लेते हैं, जो आपकी...
Continue reading...विलुप्त होते बेजुबानों की सुध कौन ले रहा है?
विलुप्त होते बेजुबानों की सुध कौन ले रहा है?
Continue reading...अर्थव्यवस्था के चक्रव्यूह में फंसी सरकार, लेकिन मर रहा भारतीय
अर्थव्यवस्था के चक्रव्यूह में फंसी सरकार, लेकिन मर रहा भारतीय
Continue reading...राजनीति के पाटों के बीच पिसती बेचारी जनता ही है
एक दोस्त ने पूछा कि आखिर मैं कब राजनीति में कदम रखूँगा? मुझे विश्वास है कि मेरे जवाब को सुनकर उसे संतुष्टि जरूर मिली होगी और उसे समझ आ गया होगा, ‘यह राजनीति क्यों मेरे काम की नहीं।’ जब उसने कहा, “तुम भी लड़ो और जीतो” तो मैंने भी कह डाला कि कोई लड़कर जीतता है और कोई प्यार से...
Continue reading...राजनीति में होता ‘भाषाई हिंसा’ का विस्तार
राजनीति में होता ‘भाषाई हिंसा’ का विस्तार
Continue reading...मिग-27 हुआ रिटायर, आप कब रिटायर होंगे नेताजी?
मिग-27 हुआ रिटायर, आप कब रिटायर होंगे नेताजी?
Continue reading...जिस मुल्क का शरीर और समाज दोनों बीमार हो चुके हों, आखिर वह देश कैसे तरक्की
जिस मुल्क का शरीर और समाज दोनों बीमार हो चुके हों, आखिर वह देश कैसे तरक्की
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