ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय।।
महाकवि संत कबीर दास का यह दोहा क्या आपको याद है? हो सकता है, आपको याद हो, लेकिन हमारे देश के नेता इसे पूरी तरह भूला चुके हैं, तभी बात-बात पर उनकी जुबान फिसल जाती है। नेता एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का एक भी मौका अपने हाथ से नहीं जाने देते हैं। यही वजह है कि कुत्ता, नीच, चोर, पप्पू, फेंकू, गधा जैसे शब्द उनकी बोली में शुमार हो चुके हैं।
जी हाँ, राजनीतिक गलियारे में ऐसी भाषा का प्रयोग आम हो चला है। दूसरे शब्दो में कहूँ, तो नेताओं की भाषा अमर्यादित और स्तरहीन हो चुकी है, और राजनेताओं का यही मानसिक दिवालियापन दिन-ब-दिन राजनीति के स्तर को गिराता चला जा रहा है।
नेता भूल चुके हैं कि भाषा, लोकतंत्र का अहम अंग है। गांधी के शब्दरूपी विचार आज भी जनमानस पटल पर अंकित हैं। वहीं इसके विपरीत आजकल के नेताओं की भाषा परेशान करती है, इस भाषा को सुनकर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है क्योंकि आरोप-प्रत्यारोप की भाषा, सहनशीलता और संवेदनशीलता की हदें पार कर चुकी हैं। नेताओं के स्तरहीन बोल समाज और संस्कृति पर चोट पहुँचा रहे हैं।
नेताओं को समझना होगा कि जो वो कहते हैं, उनके समर्थक भी उसी बात का अनुसरण करते हैं, ऐसे में उन्हें अपनी वाणी पर संयम रखना जरूरी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तीखे से तीखे बयान विन्रमतापूर्वक कह डालने की खूबी रखते थे, ताकि लोकतंत्र की खुबसूरती हमेशा बरकरार रह सके।
आज जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि वह जनता ही है, जो एक नेता को कुर्सी पर बैठाती और उसे उतारती है।
ऐसे में अब जनता को मापदंड निर्धारित करने पड़ेंगे, उसे विचार करना होगा कि क्या वो किसी ऐसे नेता को लोकतंत्र के मंदिर में बैठाना चाहेगी, जिसकी भाषा हिंसक और अभद्र है, या फिर ऐसी वाणी बोलने वाले के लिए लोकतंत्र के मंदिर का द्वार बंद कर देगी। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि जिस दिन जनता जागरूक हो जाएगी, उस दिन इन नेताओं की वाणी भी संयमित हो जाएगी।
आज जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि वह जनता ही है, जो एक नेता को कुर्सी पर बैठाती और उसे उतारती है। ऐसे में अब जनता को मापदंड निर्धारित करने पड़ेंगे, उसे विचार करना होगा कि क्या वो किसी ऐसे नेता को लोकतंत्र के मंदिर में बैठाना चाहेगी, जिसकी भाषा हिंसक और अभद्र है, या फिर ऐसी वाणी बोलने वाले के लिए लोकतंत्र के मंदिर का द्वार बंद कर देगी। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि जिस दिन जनता जागरूक हो जाएगी, उस दिन इन नेताओं की वाणी भी संयमित हो जाएगी।