स्कूल की कक्षा यानि विद्यालयीन शिक्षा सर्वश्रेष्ठ है, जो अब लुप्त होने के कगार पर दिखाई दे रही है। कहीं यह हमारे समाज की सबसे बड़ी भूलों में से एक न बन जाए। पारंपरिक शिक्षा में एक निश्चित कार्यक्रम, परस्पर संचार और सख्त अनुशासन छात्रों का सटीक मार्गदर्शन करते हैं। पूरी तरह से शिक्षा ग्रहण एवं उसे कैसे आचार-विचार में...
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5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएँ क्या मजबूत कर सकेंगी शिक्षा की डाँवाडोल नींव को?
ठीक पाँच वर्ष पहले शिक्षा मंत्रालय ने वर्तमान एजुकेशनल सिस्टम में सुधार के उद्देश्य से एक साहसिक कदम उठाया था, जिसके तहत प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षाओं पर अंकुश लगाने का फैसला लिया गया था। परिणामस्वरूप, पुराने मार्किंग सिस्टम की जगह नया ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दिया गया। इस नए सिस्टम के अनुसार, 8वीं कक्षा...
Continue reading...वर्तमान शिक्षा पद्धति में क्यों है बदलाव की जरूरत?
यदि हम भारतीय शिक्षा प्रणाली के इतिहास को उठाकर देखें तो इसके विकास की प्रक्रिया निरंतर चली आ रही है। प्राचीन काल में शिक्षा का मूल उद्देश्य विचारों का विस्तार तथा मानव जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान करना एवं ज्ञान अर्जित करना था। जिसके लिए गुरुकुल में छात्रों को विवेक व सही चिंतन की शिक्षा दी जाती थी। वर्तमान...
Continue reading...शिक्षकों का शिक्षित होना बेहद जरूरी; संस्कार के महत्व को समझें
शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिक्षक का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। एक शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया हर एक पाठ उनके विद्यार्थियों पर गहरा असर डालती है, जिसका असर समाज पर भी होता है, क्योंकि शिक्षा देना ज्ञान का विषय है और यदि किसी शिक्षक के पास ज्ञान ही अधूरा है, तो यह ज्ञान विद्यार्थियों की जिंदगी भी बर्बाद कर...
Continue reading...शिक्षित महिलाएँ होती हैं समाज का आधार
महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनकी पहली गुरु उनकी माँ होती है। इसलिए, एक महिला यदि अच्छी शिक्षा प्राप्त करती है, तो उसके बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होता है। माँ अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकती है और उन्हें सही राह पर चलने में मदद कर सकती है। शिक्षा का...
Continue reading...सही मायने में शिक्षित किसे बोला जाना चाहिए?
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि शिक्षित किसे बोला जाना चाहिए ? शिक्षित होने का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं होता है। शिक्षित होना उस व्यक्ति को कह सकते हैं, जो जीवन में अच्छे निर्णय ले सकता है और जो अपनी समस्याओं का समाधान तलाश कर सकता है। शिक्षित होने से उस व्यक्ति को आवश्यक दक्षताएँ प्राप्त होती...
Continue reading...छोटे राज्यों के गठन में कैसी बुराई?
स्वतंत्रता से पूर्व भारत 17 प्रांतों और 584 रियासतों में बंटा हुआ था। इसके पश्चात् स्वतंत्रता के समय 15 अगस्त 1947 को भारत में 12 राज्य थे। 26 जनवरी 1950 को जब भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना, तब तक हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्य भी भारतीय संघ का हिस्सा बन चुके थे। फिलहाल भारत...
Continue reading...पृथक राज्य की माँग के साथ कब तक दिव्यांग बना रहेगा बुंदेलखंड?
हर साल बुंदेलखंड में लहलहाएँगे बाग और खिलखिलाएँगी फसलें, की खबरें तो अखबारों की शोभा बढ़ाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी दिल्ली दूर ही नज़र आती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिले मिलाकर बना बुंदेलखंड क्षेत्र आज भी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। इसके एक नहीं, बल्कि कई प्रमाण देखने को मिलते हैं। साल...
Continue reading...आखिर कब होगी एसडीजी 2030 की शुरुआत और लक्ष्य की प्राप्ति
एसडीजी 2030 लक्ष्यों की ओर कछुआ गति से बढ़ रहा है भारत सभी जानते हैं कि हम सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा की शुरुआत से लेकर मंजिल तक पहुँचने के बीच लगभग आधा सफर तय कर चुके हैं। इसके बावजूद हम काफी पीछे जान पड़ते हैं। सरकार को संभावित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपने काम में तेजी लाने...
Continue reading...जेल में ही तैयार होते हैं अपराधी?
जेल एक ऐसी जगह है, जहाँ मामूली-से अपराध का भी एक आरोपी को प्रायश्चित होता है। लेकिन जिस समय उसे वास्तव में सांत्वना अपेक्षित है, यदि उस समय उसके साथ सही व्यवहार नहीं किया जाता, तो उसे एक कट्टर अपराधी बनने में तनिक भी देर नहीं लगती। जेल में लगभग सारे अपराधी अकेले में रोज अपने अपराध से गुजरते हैं...
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