आधुनिकता के पीछे भागती युवा पीढ़ी भावना के मोल को भूल चली है और खुद पर ओढ़ लिया है आवरण दिखावे का। ऐसा दिखावा जो अन्य लोगों से खुद को श्रेष्ठ मानने की लालसा से पीड़ित है। इस लालसा के दुष्प्रभावों के आभास से परे इंसान बढ़ा चला जा रहा है उस राह की ओर, जहाँ से मंजिल के रूप में सिर्फ स्वयं की प्रशंसा की धुंध दिखाई देती है।
चलिए, हम इसे बतौर उदाहरण समझते हैं। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, यदि दान करो एक हाथ से तो दूसरे हाथ को पता मत चलने दो। उनके ऐसा कहने के पीछे एक बहुत ही बड़ा कारण है। बड़े-बुजुर्गों के कहे अनुसार जब भी हम किसी को कोई वस्तु, धन, अनाज आदि दान करते हैं, तो उसका लेखा हमारे अच्छे तथा पुण्य कर्मों में किया जाता है। यदि हम इसे दिखावे के रूप में लेते हैं, तो यह दान सही मायने में व्यर्थ है, और न ही इसका लेखा हमारे पुण्य कर्मों में किया जाता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हमारा उद्देश्य दान करने का है, तो फिर दिखावा किस बात का? लेकिन इस ज्ञान की कमी लिए नई पीढ़ी खुद में ही सिमट कर रह गई है। दान को हमारे देश के युवा महज दिखावे की वस्तु मानने को मजबूर हो चले हैं। वे किसी दीन-दुखी की मदद करते समय मन में उठे भावों को सेल्फी लेकर अन्य लोगों को दिखाते हैं कि हम किसी की मदद कर रहे हैं। इस सेल्फी परिदृश्य ने दान और मदद करने की अवधारणा को बदलकर रख दिया है। चंद समय के लिए आपके मन को मिली यह बेबाक खुशी अंदर से किसी को तोड़ देती है।
कुछ लोग इसे अपनी संपत्ति या धन दुनिया को दिखाने का सबब मानते हैं। धन का दिखावा उन्हें महज लोभ, शक्ति, श्रेष्ठता और घमंड की भावना देता है। पहले से दुखी उस व्यक्ति के दिल को कितनी ठेस पहुँचती होगी, जिस दिन इस सवाल का जवाब हमें मिल जाएगा, देश से दिखावे का नामो-निशान मिट जाएगा।
भगवान हम में से प्रत्येक का निर्माण प्रेम तथा सहजता से करते हैं। हम सब उनकी नजर में एक जैसे हैं। यदि हम में से कुछ अधिक फले-फूले हैं और थोड़े अतिरिक्त हैं, तो हमें स्वयं को समाज को दान करने और समानता फैलाने के प्रति जिम्मेदार महसूस करना चाहिए। प्रत्येक धर्म भी यही कहता है कि हमें अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अनिवार्य रूप से दान करना चाहिए। साथ ही, भारतीय संस्कृति भी ‘गुप्त दान’ में विश्वास करती है, जिसका अर्थ है बिना किसी को बताए दान करना। जब हम कैमरे के क्लिक के साथ दान करते हैं, तो यह लेने वाले से यही कहता है कि मैं वही हूँ जो तुम्हारी मदद करने के लिए यहाँ हूँ।
जितनी तुम्हें इसकी आवश्यकता है, उससे कहीं गुना अधिक आवश्यकता मुझे इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और इस पर हजारों लाइक्स की है। मुझे दुनिया को बताना है कि मैं तुमसे श्रेष्ठ हूँ, साथ ही, मैं अच्छे इंसान के रूप में समाज द्वारा स्वीकार किए जाने की दुर्बलता से पीड़ित हूँ। यह दान नहीं है, बल्कि यह देखने की इच्छा है कि अन्य लोग आपके दान के लिए आपकी कितनी प्रशंसा करते हैं।