Only personalities like Vishnu, Shiva and Parvati complement the corporate
Continue reading...संस्कृति
कितना सच्चा? कितना झूठा?
वैसे तो भगवान ने मनुष्य को बड़े ही सोच समझकर बनाया है या यूँ कहें कि धरती पर बाकी प्राणियों से हटकर ज्यादा ही बुद्धि और विवेक दिया है। लेकिन क्या सही मायनों में मनुष्य इस बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करता भी है? सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया विवेक, क्या समाज और उसके खुद के लिए सही...
Continue reading...क्या गरीब व्यक्ति शादियों में जाना ही छोड़ दे?
हमारे रिश्तेदार क्या पहन रहे हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता, भाग-दौड़ भरे जीवन में वे हमारी खुशियों में शामिल हुए हैं, यह सबसे अधिक मायने रखता है सोने के आभूषण अमीर लोगों पर चमकते हैं साहब, गरीबों की कहाँ चका-चौंध! क्योंकि आलीशान शादी समारोह में शानदार रेड कार्पेट्स अमीरों का स्वागत करते हैं। दिखावे को होड़ जो लगी पड़ी है….....
Continue reading...सिर्फ मान्यताएँ ही नहीं, विज्ञान भी कहता है गाय को पवित्र
भारत अपनी युगों पुरानी मान्यताओं और अद्भुत परंपराओं की गोद में फला-फूला देश है। प्राचीन काल से ही पशु जीवन के प्रति हिंदू धर्म में गहन आस्था रही है। और विशेष तौर पर जब गाय की बात आती है, तो यह विश्वास कई गुना बढ़ जाता है। गायों को दैवीय स्वरुप और प्रकृति का उपकार माना जाता है। लेकिन बतौर...
Continue reading...लालकृष्ण आडवाणी के बाद सिंधी समुदाय को सांसद शंकर लालवानी से उम्मीदें
वह समाज, जिसने भारत के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया। 1947 में हुए देश के विभाजन ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया। जिन्होंने भारत को चुना, उन्हें अपना घर, जमीन, जायदाद, सब पीछे छोड़कर भागना पड़ा। हालाँकि, इस त्रासदी का यदि कोई सबसे अधिक शिकार हुआ, तो वह था सिंधी समाज। वह समाज, जिसने भारत के...
Continue reading...देश की एक पहचान हुनर से भी.. जिसे राज्यों को पहचाने की कड़ी जरुरत
skill.. which the states need to recognize
Continue reading...न जाने कौन खा रहा है गाय की पहली और कुत्ते की आखिरी रोटी!
न जाने कौन खा रहा है गाय की पहली और कुत्ते की आखिरी रोटी!
Continue reading...संस्कृति और विरासत की गोद में बैठे भारत से विलुप्त होते संस्कार
संस्कृति और विरासत की गोद में बैठे भारत से विलुप्त होते संस्कार
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