किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से……

Books peek through the mirrors of closed cupboards...

एक दौर वह था, जब हमारी सबसे अच्छी मित्र हुआ करती थीं किताबें, जब किताबों से नाता हमारे दिलों में बसता था, जिनसे अब नाता पुराना हो गया है, या यूँ कहें कि नाता ही नहीं रहा। एक समय था जब लोग किताबों की खोज में पुस्तकालयों और बाजारों का सफर किया करते थे। नई पुस्तकों की खुशबू, उनकी परतों के बीच छिपी यात्राओं की कहानी अब भी याद है। वो समय धीरे-धीरे बिताने की समय यात्रा थी, लेकिन उसमें छिपी खोज और ज्ञान का आनंद अपना ही था।

एक छोटा सा वाक्या मुझे याद आ रहा है। मैं शाम को अपने दफ्तर से घर लौट रहा था। लौटते हुए मेरे एक मित्र भी मेरे साथ हो लिए। हमने एक चाय की टपरी पर चाय पी और मैंने उनसे कहा कि मुझे कुछ किताबें लेना हैं, तो मैं अंडर ब्रिज से होता हुआ जाऊँगा। यदि आप भी चलना चाहें, तो चल सकते हैं। इस पर उन्होंने अचंभित होते हुए मुझसे पूछा कि आज के ज़माने में किताबें कौन पढ़ता है, जबकि मोबाइल में सब कुछ उपलब्ध है? मैंने मुस्कुराकर उत्तर दिया कि मैं पढ़ता हूँ। लेकिन कहीं न कहीं निराशा थी मन में, क्या सच में लोगों का प्रेम किताबों को लेकर खत्म हो गया है?

मुझे लगता है कि किताबों से अच्छा मित्र आपका कोई हो ही नहीं सकता, क्योंकि ये हमेशा साथ रहती हैं। मैंने कुछ लोगों को यह भी कहते हुए सुना है कि हमें तो टाइम ही नहीं मिलता किताब पढ़ने का। भई टाइम मिलता नहीं या आप निकलना ही नहीं चाहते, यह भी हो सकता है।

खैर, आज का सोशल मीडिया का दौर किताबों के प्रति इस असीम प्रेम को डकार चुका है, जहाँ लोग चंद पलों में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। अपने मित्रों और परिवारजनों को मैसेज भेज देते हैं, बातें कर लेते हैं और अब तो वीडियो कॉल के जरिए उन्हें देख भी लेते हैं। सवालों के जवाब इंटरनेट पर मिल ही जाते हैं।

किताबों का साथ हमेशा अनमोल रहा है। उनमें छिपी कहानियाँ, ज्ञान, विचार, और संवाद हमारे साथी बन जाते हैं। जब भी हम किसी पुरानी किताब के पन्नों को पलटते हैं, तो हमारे समय की यादें ताजगी से भर उठती हैं। और कल्पनाओं की उड़ान हमें एक अलग दुनिया में ले जाती है, जो आजकल के फास्ट-पेस जीवन में शान्ति और समृद्धि का स्रोत बनती है।

तो जब भी मौका मिले किताबों को अपना मित्र बनाइए। उनमें ढूँढ़िए खुद की परेशानियाँ, उनसे पूछिए अपने सवाल, निश्चित ही वे आपका साथ देंगी, शायद उन्हें भी एक मित्र की तलाश है…..

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