2030 के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर हुआ एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का चुनाव
तीन राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने आम जनमानस के साथ दोनों प्रमुख दलों को भी चौंकाने का काम किया, लेकिन इससे भी कहीं अधिक इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चुनाव ने सत्ता दल के दिग्गज नेताओं के साथ-साथ राजनीति में रूचि रखने वाले लगभग सभी लोगों आश्चर्यचकित होने पर मजबूर कर दिया। राजस्थान में पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी गई, वहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दो ऐसे नेताओं को सत्ता की कमान सौंपी गई, जिनका नाम सामने आने के बाद लोगों को गूगल का सहारा लेना पड़ा। पर्यवेक्षकों के हाथों दिल्ली से पर्ची में बंद होकर आए इन नामों से जब पर्दा हटा, तो इसे ज्यादातर मीडिया बंधुओं ने पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक बताया और अगले साल होने वाले आम चुनावों की दृष्टि से यादव, आदिवासी और ब्राह्मण समाज के रुष्ट मतदाताओं को बीजेपी खेमें में लाने का नायाब तरीका करार दिया। हालाँकि, यह गणना सिर्फ राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान में रखकर ही की गई, जबकि इस फैसले के एक अन्य और महत्वपूर्ण कारक के रूप में सतत विकास लक्ष्य-2030 पर कम ही लोगों या मेरे जैसे इक्का-दुक्का लोगों का ध्यान गया है। इसे आप मनगढंत कहानी भी कह सकते हैं, लेकिन सिर्फ राजनीतिक कारणों पर ही नहीं मोदी जी के काम करने के अन्य तरीकों को धरातल पर रखकर भी इस फैसले को आँकना चाहिए।
कुछ समय पहले दुबई में COP28 उच्च-स्तरीय खंड में, प्रधानमंत्री मोदी ने 2028 में होने वाले COP33 को भारत में कराने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव को उन्होंने इस बात के साथ रखा कि भारत ने अपनी जी 20 अध्यक्षता में वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर की भावना के साथ क्लाइमेट के विषय को निरंतर महत्व दिया है और सस्टेनेबल भविष्य के लिए हमने मिलकर ग्रीन डेवेलपमेंट पैक्ट पर सहमति बनाई है। जाहिर तौर पर सतत विकास लक्ष्य भारत के केंद्र में है और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के सहयोग से लगातार इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रही है। शायद यही कारण है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह 64 से अधिक देशों का दौरा कर चुके हैं, जहाँ अलग-अलग मंचों पर शांति स्थिरता, परमाणु ऊर्जा, समृद्धि, खाद, रिन्यूएबल एनर्जी, समानता, मैनुफेक्चरिंग, इन्वेस्टमेंट, स्किल डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं जैसे विषयों और एकता जैसे मुद्दों पर भाषण और प्रस्ताव पेश कर चुके हैं।
हाल में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुने गए तीनों ही मुख्यमंत्री उम्र से लेकर शिक्षा तक, अपनी एक अलग पहचान रखते हैं और राजनीति की दृष्टि में युवा भी कहे जा सकते हैं, जिनके पास सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिए कम से कम 10 साल तो हैं ही। केंद्र सरकार के थिंक टैंक माने जाने वाले नीति आयोग देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रदर्शन के आधार पर ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21’ में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण को लेकर किए गए कामों के 17 मानकों पर अपनी रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें केरल 100 में से 75 अंक हासिल कर लगातार पहले पायदान पर बना हुआ था। हिमाचल और तमिलनाडु 74-74 अंक लेकर दूसरे नंबर पर थे, जबकि इस रिपोर्ट में मप्र की रैंकिंग 3 पायदान नीचे आ गई थी। न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी नीचे से टॉप 5 में शालिम थे। इस स्थिति में अभी-भी बहुत सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में, जब हम दुनिया के विभिन्न विकसित और विकासशील देशों के बीच एक सबसे लोकप्रिय और वैश्विक नेता के रूप में पीएम मोदी की छवि दर्शाते हैं, तो उनके लिए भी दुनिया में भारत की छवि को वैश्विक मंचों पर निखारने की जिम्मेदारी मजबूत हो जाती है। फिर सम्पूर्ण भारत की छवि इसके तमाम राज्यों के प्रदर्शन से जुड़ी हुई है और यह प्रदर्शन सतत विकास लक्ष्यों के तराजू पर भी तौले जाने हैं।
संभवतः पीएम मोदी अपनी करिश्माई नेतृत्वशक्ति के बूते 2024 के आम चुनावों में भी अपनी जीत सुनिश्चित समझ रहे हैं, और उनके लिए 29 तक वह खुद को सर्वकालिक बेस्ट पीएम के रूप में साबित करने का एक बहुत व्यापक मंच सतत विकास लक्ष्य हैं, जिसे पूरा करने या 80 फीसदी तक करीब पहुँचने पर भी दुनिया में भारत के विकास करने की क्षमता और गति का सीधा प्रसारण करना का अवसर मिलता है, और बीजेपी आलाकमान इस मामले को लेकर अभी से गंभीर हो चला है, जिस कारण नए चेहरों और युवा नेतृत्वकर्ताओं को मौका व टारगेट दोनों दिए गए हैं। हो सकता है इसके पीछे यही मनसा हो कि सतत विकास लक्ष्यों को लेकर बेहतर प्रदर्शन करो और आगे पाँच वर्ष के कार्यकाल को निश्चित समझों, क्योंकि जब तक मोदी हैं बीजेपी की जीत तो सुनिश्चित है ही! जीत के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कारण भले जो भी हों।