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कैदियों की भावनाओं को हर दिन ठेस; आखिर कब तक?

Prisoners' sentiments are hurt every day; Until how long?

भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है। सिर्फ नाम के लिए ही नहीं, बल्कि भारत का संविधान अपने नागरिकों को स्वतंत्र चुनाव, कई पार्टियों वाला पार्लियामेंट सिस्टम, स्वतंत्र प्रेस और एक स्वतंत्र न्यायपालिका प्रदान करता है, जो समाज को एक जीवंत समाज बनाने में मदद करता है। मानवाधिकारों की गाथा गाते इस देश में एक नागरिक को...

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देखो, मैंने एक सपना देखा..

Look, I saw a dream..

आज सुबह जब नींद खुली, तो कुछ मिनटों तक दहशत में रहा, पसीने से तर-बतर हो चुका था। आतंकवाद की दहशत मानो सपने से हकीकत का रूप ले चुकी हो। एक देश के आतंकी हमले ने दूसरे को तहस-नहस कर दिया। हर तरफ लाशों के ढेर बिछाने और खून के कतरे से देश की धरती को रंगने में आतंकियों को...

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विश्वास, खुद पर…..

Believe in yourself...

सियासी गद्दी का बोलबाला कुछ ऐसा है कि किसी के लिए तो यह मखमल की सी पेश होती है, वहीं किसी के लिए काँटों की सेज बनकर बिछ जाया करती है। भारत देश पर तकरीबन 70 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपनी सत्ता के दौरान देश के लिए कई कार्य किए। लेकिन राहुल गाँधी कहीं न कहीं पूर्वजों...

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एलन मस्क का एम्प्लॉयीज़ की छँटनी करना कितना सही और कितना गलत?

How right and wrong is Elon Musk's layoff of employees?

जब से एलन मस्क के हाथों में ट्विटर की कमान आई है, पूरी दुनिया में एक ही चर्चा चरम पर है, वह है प्लेटफॉर्म से एम्प्लॉयीज़ की छँटनी। हर दिन अखबारों के पन्नों में जैसे यह खबर बेहद आम हो गई है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क द्वारा दुनिया भर में एम्प्लॉयीज़ की छँटनी के काम को...

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सरकारों की चाटुकारिता में तब्दील होता जा रहा महामहीम का सर्वोच्च पद – अतुल मलिकराम, राजनीतिक विश्लेषक

The highest post of His Majesty is turning into sycophancy of governments - Atul Malikram, political analyst

संवैधानिक दृष्टि और मूल सिद्धांतों को छोड़ दें तो आपको भारत में राष्ट्रपति पद की कितनी जरुरत महसूस होती है? बहुत से लोगों को तो प्रधानमंत्री के होने न होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता होगा, लेकिन पीएम और उनकी सरकार के पास इतनी पॉवर जरूर होती है कि व जब चाहे तब, भारत के प्रथम नागरिक को अपने...

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