नींव कमजोर होगी, तो मकान का अस्तित्व अधिक समय तक टिक नहीं सकता। उसी तरह शिक्षा का भी महत्व है। बच्चों की बेसिक पढ़ाई मजबूत रहेगी, तो बड़ी कक्षाओं में आकर बच्चे और बेहतर रिजल्ट दे सकते हैं। नींव को मजबूत कर लिया जाए, तो शिक्षा का स्तर 100 प्रतिशत सुधर सकता है।
एक मुहावरा याद आता है कि “आगे पाठ, पीछे सपाट”। वर्तमान शिक्षा पद्धति में यह देखा गया है कि बच्चे ऊँची कक्षाओं में आते-आते पहला पढ़ा हुआ सब भूल जाते हैं, जिससे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जैसे नौवीं कक्षा के महत्वपूर्ण भागों को दसवीं कक्षा में भी दोहराया जाए, क्योंकि यह विद्यार्थी को उसकी नींव और उसके प्रारूप को समझने और याद करने में मदद करता है। जब आप दसवीं कक्षा में जाते हैं, आपके पास नौवीं कक्षा के विषय की समझ होती है, तो आपको दसवीं कक्षा में उस विषय को समझने और याद करने में मदद मिलती है।
आजकल की शिक्षा व्यवस्था में बेस कमज़ोर है। हमें शिक्षा के बेस को इतना मजबूत बना देना चाहिए कि बच्चा खुद ही अपने विषयों का चुनाव कर सके और भविष्य में आगे बढ़ सके। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिक्षा का आधार मजबूत होना चाहिए, क्योंकि यही विद्यार्थी को आगे की पढ़ाई में और आगे बढ़ने में मदद करता है। यदि आपका आधार ही कमजोर है, तो आप आगे की पढ़ाई में संघर्ष करते हैं।
समय-समय पर सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई तरह के प्रोग्राम चलाए जाते हैं, लेकिन बावजूद इसके शिक्षा व्यवस्था में व्यापक स्तर पर कोई सुधार देखने को नहीं मिला है। इसके लिए सरकार और नेताओं को शिक्षा योजनाओं को सही ढंग से लागू करना चाहिए। स्कूलों के घिसे-पिटे पाठ्यक्रमों को हटाकर कौशल आधारित शिक्षा देनी चाहिए। जिस विद्यार्थी की जिस भी विषय मे रूचि हो, उसे उसी विषय की शिक्षा प्रदान करना चाहिए। कौशल आधारित शिक्षा का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विद्यार्थी आत्मनिर्भर बनेंगे।